Laws related to business in India news in Hindi: केंद्र सरकार द्वारा हमेशा दावा किया जाता है कि वह भारत में लगातार व्यापार से जुड़े नियमों को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि आज भी हज़ारों की गिनती में ऐसे कानून और नियम हैं, जिनकी अवहेलना पर व्यापारियों को जेल भेजा जा सकता है. जी हां, टीमलीज रेजटेक और ओआरएफ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि देश में 69,233 नियम व कानून हैं, जिसके बिनाह पर व्यापार को रेगुलेट किया जाता है. 


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हालांकि इनमें से 26,134 कानून और नियम ऐसे हैं जिनकी उलंघना पर जेल जाने तक का प्रावधान है. अगर आसान भाषा में बताया जाए तो कहा जा सकता है कि अगर 5 कानून हैं तो उनमें से लगभग 2 धाराएं ऐसी हैं कि एक व्यापारी जेल जा सकता है. 


रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ज्यादातर नियम भारत में लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योंगों के लिए बोझ साबित होते हैं. ऐसे इसलिए क्योंकि 150 से अधिक कर्मचारियों वाले एक सामान्य उद्योग के लिए 500 से 900 अनुपालन हैं जिसकी एक वर्ष की लागत 12-18 लाख रुपये होती है. गौरतलब है कि यह बोझ देश में न केवल उद्योंगो को प्रभावित करते हैं, बल्कि इसका प्रभाव गैर-लाभकारी संस्थानों पर भी पड़ता है. 


गुजरात, पंजाब समेत इन राज्यों में सबसे ज्यादा धाराएं! 


यह तो सबको पता है कि कुछ कानून और नियम ऐसे होते हैं जो कि केंद्र और राज्यों के अलग अलग होते हैं. ऐसे में किसी राज्य में ऐसे कानून कम तो किसी राज्य में ज्यादा होते हैं. अब जिन 5 राज्यों की के नाम आप इस रिपोर्ट में पढ़ेंगे वहां व्यापार कानूनों में 1,000 से अधिक कारावास की धाराएं हैं. इन राज्यों में गुजरात में 1,469 धाराएं, पंजाब में 1,273, महाराष्ट्र में 1,210, कर्नाटक में 1,175 और तमिलनाडु में 1,043 धाराएं शामिल हैं. 


इन धाराओं को 'हटाने की जरूरत'! 


टीमलीज के वाइस प्रेसिडेंट मनीष सभरवाल का कहना है यह रिपोर्ट विचार करने के लिए एक शानदार योगदान साबित हो सकती है. सरकार द्वारा पाबंदियों को साफ करने में अच्छी शुरुआत की गई है, लेकिन व्यापार हेतु नियामक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए इस परियोजना को व्यापार के लिए 26,134 कारावास की धाराओं को साफ करने के साथ आगे बढ़ना होगा. 


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'यह रिपोर्ट भारत की उद्यमी ऊर्जा को और ग्लोबल आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभारने के लिए जरूरी'


ओब्सर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन का कहना है कि इस रिपोर्ट द्वारा तीसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों के साथ संघर्ष करने और उन्हें प्रदान करने हेतु मूल आधार रखा गया है. उन्होंने कहा कि "व्यापार करने और चलाने वालों के साथ हमारी व्यवसायों की मूल्यांकन और व्यवहार में परिवर्तन करने की हमें मजबूती महसूस करानी चाहिए. मैं इस रिपोर्ट को नई शोध और प्रयासों के लिए एक प्रारंभिक आधार के रूप में देखता हूं, जो भारत की उद्यमी ऊर्जा को और ग्लोबल आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभारने के लिए जरूरी हैं."


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