विपन शर्मा/कैथल: विदेश में जाकर पैसा कमाना और अपने परिवार को गरीबी से निकलने की इच्छा हर नौजवान की होती है. इसी इच्छा के चलते कैथल के गांव बंदराना का युवक विशाल जर्मनी जाना चाहता था, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दे, गांव बंदराना में लगभग 800 घर हैं और लगभग 400 युवक पैसा कमाने के लिए विदेश में जा चुके हैं. इसी वजह से यहां का हर युवक विदेश जाना चाहता है और डॉलर कमाना चाहता है. इन्हीं में से एक था विशाल, जिसने विदेश जाने का फैसला किया था. इसके लिए उसने करनाल के एजेंट सुखदेव से संपर्क किया और करीब साढ़े सात लाख रुपए में बात तय हो गई. 


एजेंट ने उसकी बात सीधी इटली में बैठे अंकित नाम के एजेंट से करवाई और फिर इसके बाद अंकित ही विशाल से जर्मनी भेजने को लेकर बातचीत करने लगा. बता दें, एजेंट अंकित इटली में रहता है और उसका परिवार गांव ओगंद में रहता है. विदेश भेजने के मामलों की सारी डील उसका परिवार और गांव का सरपंच करता है. विशाल के परिवार से सतपाल और सियाराम सरपंच गांव ओगंद से रहने वालों से सारी डील चलती थी, वही इटली में बैठे अंकित से बात करवाते थे. 


अगस्त 2023 में विशाल को जहाज में बैठाकर मास्को (रूस) को भेज दिया गया था. विशाल एक साल तक रूस में ही अटका रहा. इस दौरान परिवार के लोग उसे रहने खाने का खर्चा भेजते रहे. अगस्त 2024 में एजेंट अंकित ने उसे डंकी के रास्ते जर्मन भेजने की कोशिश की, लेकिन बॉर्डर पर सख्ती होने की वजह से बॉर्डर पार ना कर सका. इस दौरान उसकी टांग में चोट भी लग गई.


विशाल ने 6 अगस्त 2024 को अपने परिवार को फोन किया और कहा कि उसकी टांग में चोट लग गई. अब वह आगे नहीं जाना चाहता आप एजेंट से कहिए वह उसे वापस इंडिया भेज दे. इसके बाद परिवार ने इसकी हामी भर दी और एजेंट अंकित से कहा कि उसके बेटे को वापस भेजें. एजेंट अंकित ने इस पर हामी भर दी और कहा कि मैं उसकी टिकट करवा दूंगा और वह सुरक्षित भारत वापस आ जाएगा, लेकिन इसके बाद ना तो एजेंट ने कोई बात की और ना ही विशाल का कोई फोन आया. 


इसके बाद 22 अगस्त 2024 को बेलारूस दूतावास से कैथल के लघु सचिवालय में एक मेल आती है, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि एक विशाल नाम का युवक जिसकी मौत हो गई है. उसके पासपोर्ट नंबर में पूरी जानकारी दी गई है, इसकी पुष्टि करें अन्यथा बेलारूस सरकार उसका अंतिम संस्कार कर देगी. 


सचिवालय से सूचना लेकर पुलिस विशाल के घर गांव बंदराना पहुंची और इस बात की पुष्टि की गई कि विशाल इसी गांव का निवासी है. परिवार विशाल के शव की वापसी की मांग को लेकर प्रशासन से गुहार लग रहा है. साथ ही विशाल की मौत की जांच की मांग कर रहा है, क्योंकि 6 तारीख को विशाल से बात हुई थी उसकी केवल टांग में चोट लगी हुई थी और बेलारूस दूतावास में भी उसकी मौत की तारीख 7 अगस्त ही बताई गई है.


परिवार और गांव के लोगों का कहना है कि एजेंट को अगर यह सारी बात पता थी तो उसने 7 तारीख से लेकर अब तक परिवार को धोखे में क्यों रखा, अगर दूतावास से कोई सूचना नहीं आती तो उन्हें कभी नहीं पता चलता कि उनके बेटे के साथ क्या हुआ. परिवार को शक है कि एजेंट और डोंकर के कारण ही उनके बेटे की मौत हुई है, इसलिए वह जांच की मांग कर रहे हैं और अपने बेटे के शव को बेलारूस से वापस लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. वह चाहते हैं कि एजेंट अंकित जो इटली में बैठा है और उसके दो व्यक्ति जो गांव ओगंद जिला करनाल में रहते हैं सतपाल और सियाराम सरपंच गांव ओगंद उसके लिए काम करते हैं उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए.


इस बारे में जब कैथल के पुलिस अधीक्षक राजेश कालिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. इस पर कार्रवाई की जाएगी और जो भी परिवार की मदद हो सकती है वह की जाएगी. वह अपील करना चाहते हैं कि लोग जिस एजेंट के माध्यम से अपने बच्चों को बाहर भेज रहे हैं उसकी पूरी जांच कर लें और ऐसे एजेंट के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी जो लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं.


WATCH LIVE TV