Karva Chauth Vrat Katha: जीवन में मधुरता और अखंड सौभाग्य का पर्व करवा चौथ आज पूरे देश में मनाया जा रहा है. सुहागिन महिलाओं द्वारा करवाचौथ का ये व्रत रखा जाता है. आज के इस खबर में हम आपको बताएंगे करवा चौथ के कथा के बार में..


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

Pathankot: पठानकोट में दो निजी स्कूलों ने टूटी सड़क को लेकर बच्चों को धरने के लिए हाईवे पर बिठाया


ये कहानी है करवा नाम की एक स्त्री की जिसने सावित्री की ही तरह अपने पति के प्राण यमराज से बचा लिए थे. जानकारी अनुसार, प्राचीन समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी. वह अपने पति के साथ गांव में रहती थी. उसका पति वृद्ध था. एक दिन वह नदी में स्नान करने गया. नदी में नहाते समय एक मगर ने उसे पकड़ लिया. इस पर व्यक्ति 'करवा करवा' चिल्लाकर अपनी पत्नी को सहायता के लिए बुलाने लगा.


ऐसे में जब करवा ने आवाज़ सुना तो वो भागकर अपने पति के पास पहुंची और दौड़कर कच्चे धागे से मगर को आन देकर बांध दिया. मगर को सूत के कच्चे धागे से बांधने के बाद करवा यमराज के पास पहुंची. वे उस समय चित्रगुप्त के खाते देख रहे थे. वहीं, करवा ने सात सींक ले उन्हें झाड़ना शुरू किया, यमराज के खाते आकाश में उड़ने लगे. यमराज घबरा गए और बोले-'देवी! तू क्या चाहती है?'


तब करवा ने कहा- 'हे प्रभु! एक मगर ने नदी के जल में मेरे पति का पैर पकड़ लिया है. उस मगर को आप अपनी शक्ति से अपने लोक में ले लीजिए  और मेरे पति को उम्र दे दीजिए. वहीं, करवा की बात सुनकर यमराज बोले- 'देवी! अभी मगर की आयु शेष है. अत: आयु रहते हुए मैं असमय मगर को मार नहीं सकता.' इस पर करवा ने कहा- 'यदि मगर को मारकर आप मेरे पति की रक्षा नहीं करोगे, तो मैं आपको श्राप देकर आपको नष्ट कर दूंगी.' 


वहीं, करवा की धमकी से यमराज डर गए और उन्होंने मगर को मारकर यमलोक पहुंचा दिया और करवा के पति की प्राण रक्षा कर उसे दीर्घायु प्रदान की. जाते समय वह करवा को सुख-समृद्धि देते गए तथा यह वर भी दिया- 'जो स्त्री इस दिन व्रत करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा.' 


ऐसे में उस दिन ये व्रत करवा चौथ के नाम पर पड़ गया है.  वहीं, जिस दिन करवा ने अपने पति के प्राण बचाए थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ थी. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.)