Paonta Sahib: कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब उगाना बागवानों के लिए एक सपने जैसा था. हालांकि कुछ किसानों ने विदेशी नस्ल के महंगे पौधे खरीद कर प्रयास जरूर किए हैं. मगर, ग्राफ्टिंग की नई तकनीक से बिना पैसा खर्च किए लो हाइट पर सेब उगना अब संभव हो गया है. 


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संग्रह क्षेत्र के कुछ बागवानों ने जंगली कैंथ के पौधे में सेब की सफल ग्राफ्टिंग की है. कैंथ छोटा सा फल देने वाला जंगली प्रजाति का पौधा होता है. यह ढंगारों, घसनियों और जंगलों में अपने आप उगता है. संहड़ाह क्षेत्र के बागवान विजय आज़ाद ने कैंथ के पेड़ पर सेब की कलम लगाने का सफल प्रयोग किया. 


इस तकनीक पर पिछले तीन वर्षों से काम चल रहा था. विजय आजाद ने अपने साथी बागवानों के साथ मिलाकर कैंथ की लगभग 200 पेड़ों में सेब की कलम लगे. कैंथ के पेड़ में सेब की ग्राफ्टिंग का यह प्रयोग सफल रहा. ग्राफ्टिंग से निकली टहनियों में स्वस्थ फूल आए हैं और इनसे अच्छे फल प्राप्त होने की उम्मीद है. 


बता दें, हिमालय के निचले और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की ग्राफ्टिंग का यह सफल प्रयोग पहली बार हुआ है. प्रयोग सफल होने से निचले क्षेत्रों में बागवानों में खुशी की लहर है. इस तकनीकी से न सिर्फ सेब बल्कि नाशपाती, आडू और पलम भी उगाई जा रहे हैं.  इस सफलता से किसान खेती के साथ-साथ बागवानी की तरफ भी अग्रसर होंगे.  विजय आजाद ने बताया कि इस तकनीक से सेब उगाने में कोई खर्च नहीं आता. ना ही उपजाऊ और अच्छे किस्म की जमीनों में के पौधे लगाने की जरूरत पड़ती है. 


विजय आजाद सभी किसानों को कैथ के पौधों में सेब व नाशपाती की कलमो की ग्राफ्टिंग करवाने की तकनीक सिखाते हैं, जिसमें उन्नत किस्म के प्रजाति के सेब तथा नाशपाती की काल्मो की ग्राफ्टिंग की जा रही है. अब क्षेत्र के अन्य किसान भी इस तकनीक से सेब उगाने के बारे में सोच रहे हैं. 


रिपोर्ट- ज्ञान प्रकाश, पांवटा साहिब