Holashtak 2024: पंचांग के अनुसार, होलाष्टक फाल्‍गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि तक रहता है. इस साल होलाष्टक 17 मार्च 2024 से शुरू हो रहा है जो 24 मार्च 2024 पूर्णिमा तिथि को समाप्त होता है. 


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क्या है होलाष्टक की कहानी
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कई वर्षों पहले असुर जाति का एक राजा था, जिसका नाम हिरण्यकश्यप था. हिरण्यकश्यप की प्रजा उसके अत्याचारों से काफी परेशान थी. वह हमेशा प्रजा के लोगों पर अपनी पूजा करवाने का दवाब बनाता था. इतना ही नहीं हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद पर भी बहुत क्रोधित होता था, क्योंकि प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. वह हमेशा भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था, लेकिन हिरण्यकश्यप को प्रहलाद की भक्ति करना बिल्कुल पसंद नहीं था. ऐसे में हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद की भक्ति भंग करने के लिए लगातार 8 दिन तक उसे काफी परेशान किया, लेकिन वह लगातार अपनी भक्ति में लीन रहा. 


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होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते मांगलिक कार्य 
इसके बाद हिरण्यकश्यप ने परेशान होकर आठवें दिन अपनी बहन होलिका को कहा कि वह प्रहलाद को गोद में आग में बैठ जाए ताकि उसका बेटा प्रहलाद आग में जल जाए, क्योंकि होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह कभी आग में नहीं जल सकती, लेकिन जब होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठी तो वह खुद आग में जलकर राख हो गई जबकि प्रहलाद को भगवान विष्णु ने आग में जलने से बचा लिया. बता दें, जिन 8 दिनों तक हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को परेशान किया था उस 8 दिन की अवधि को ही होलाष्टक कहा जाता है. इसके साथ ही आग में होलिका के जलने के बाद से ही होलिका दहन किए जाने लगा. 


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यही वजह है कि इन 8 दिनों तक किसी भी मांगलिक और धार्मिक कार्यक्रम को करना अशुभ माना जाता है. इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार और जनेऊ संस्कार भी नहीं किया जाता है. इसके अलावा होलाष्टक के दौरान हवन, कीर्तन, पूजन, यज्ञ भी नहीं किया जाता है. जहां दिवाली पर वाहन लेना, प्रॉपर्टी खरीदना, नया मकान खरीदना, गहने खरीदना शुभ माना जाता है, वहीं होली के दौरान होलाष्टक के दौरान इन कार्यों को करने से उसमें नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है. इस दौरान किसी भी तरह का निर्माण कार्य भी नहीं शुरू कराना चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.)


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