Paonta Sahib में माजरा थाने के क्षेत्राधिकार को नाहन अटैच करने के विरोध में निकाली गई जन आक्रोश रैली
Paonta Sahib News: माजरा थाने के क्षेत्राधिकार को नाहन न्यायालय से अटैच किया जा रहा है, लेकिन पांवटा साहिब के अधिवक्ता बीते 21 दिन से इस फैसले का विरोध करते हुए हड़ताल पर बैठे हुए हैं. इस विरोध के चलते आज जन आक्रोश रैली निकाली गई.
ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश में पांवटा साहिब के अधिवक्ता पिछले 21 दिनों से माजरा थाने के क्षेत्राधिकार को नाहन न्यायालय से अटैच किए जाने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. अब इन्हें स्थानीय विधायक सुखराम चौधरी और कांग्रेस नेताओं का भी साथ मिलने लगा है. विधायक और कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में इस फैसले के खिलाफ आज माजरा में 17 पंचायत के लोगों ने जन आक्रोश रैली निकाली.
20 दिन से काम छोड़कर हड़ताल पर बैठे अधिवक्ता
इस दौरान लोगों ने साफ तौर पर कह दिया कि क्षेत्र के लोगों को न्याय के लिए नाहन जाना मंजूर नहीं है. ऐसे में माजरा पुलिस थाने का क्षेत्राधिकार पता न्यायालय में ही रखा जाए. गौरतलब है कि माजरा थाने के क्षेत्राधिकार को नाहन कोर्ट में अटैच करने के बाद से पांवटा साहिब के अधिवक्ता इसका विरोध करते हुए पिछले 20 दिनों से काम छोड़कर हड़ताल पर बैठे हैं. वहीं, आज माजरा क्षेत्र की 17 पंचायत के सैकड़ों लोग इस फैसले के विरोध में जन आक्रोश रैली में पहुंचे.
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17 पंचायत की जनता ने किया इस फैसले का विरोध
दरअसल पांवटा साहिब न्यायालय के तहत आने वाले माजरा थाने के क्षेत्राधिकार को नाहन कोर्ट से अटैच कर दिया गया है. इस फैसले से 17 पंचायत की 60 हजार की आबादी प्रभावित हो रही है. यानी इस क्षेत्र के लोगों के सभी आपराधिक मुकदमे और अपील की सुनवाई अब नाहन में होगी. इस फैसले के विरोध में पांवटा साहिब के अधिवक्ता काम छोड़कर हड़ताल पर बैठे हुए हैं जबकि अब स्थानीय नेता और 17 पंचायत की जनता भी इस फैसले के विरोध में उतर आई है. स्थानीय विधायक सुखराम चौधरी माजरा में आयोजित जन आक्रोश रैली में पहुंचे.
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आक्रोश रैली में ये लोग हुए शामिल
इस रैली में पांवटा साहिब के अधिवक्ता, प्रभावित 17 पंचायतों के लोग और कांग्रेस नेताओं ने भी शिरकत की. सभी ने एक सुर में सरकार के इस फैसले का विरोध किया. साथ ही मांग उठाई कि माजरा थाने का क्षेत्राधिकार पांवटा साहिब में ही रहने दिया जाए ताकि लोगों को न्याय के लिए 30 किलोमीटर दूर नाहन में न भटकना पड़े.
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