जिला परिषद कर्मियों की हड़ताल के समर्थन में उतरे जिला ब्लाक के प्रधान और उपप्रधान
हिमाचल प्रदेश जिला परिषद कर्मचारी/अधिकारी महासंघ पिछले 6 दिनों से अनिश्चतकालीन कलम छोड़ हड़ताल पर बैठे हैं. जो अब हर दिन बढ़ती ही जा रही है. इसे शुरू हुए अब पूरे 6 दिन हो चुके हैं.
ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश जिला परिषद कर्मचारी/अधिकारी महासंघ पिछले 6 दिनों से अनिश्चतकालीन कलम छोड़ हड़ताल पर बैठे हैं. जो अब हर दिन बढ़ती ही जा रही है. इसे शुरू हुए अब पूरे 6 दिन हो चुके हैं. कांग्रेस के साथ-साथ अब स्थानीय पंचायतों के प्रधान, उपप्रधान व संघठन भी कर्मचारियों के पक्ष में आ गए हैं. उनका कहना है कि एक्शन मोड पर आई सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. छह दिन से जनता परेशान है और सरकार ने इनके साथ बातचीत करके गतिरोध तोड़ने की कोशिश भी नहीं की.
बता दें, हिमाचल प्रदेश की 85 फीसदी से अधिक आबादी गांवों में बसती है. ग्रामीणों के ज्यादातर काम पंचायतों में होते हैं, लेकिन प्रदेश की पंचायतों में जिला परिषद अधिकारियों व कर्मचारियों की हड़ताल होने से छह दिन से व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. जिला के लोगों को छोटे-छोटे काम के लिए पंचायत दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
जिला परिषद अधिकारी व कर्मचारी उन्हें पंचायतीराज एवं ग्रामीम विकास विभाग में मर्ज करने की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार इन्हें अपना कर्मचारी तक नहीं मानती है. पंचायतों में परिषद कर्मी तकनीकी सहायक, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, पंचायत सचिव, जिला परिषद कॉडर पद पर सेवाएं दे रहे हैं.
ऐसे में पेन डाउन हड़ताल से पंचायतों में परिवार रजिस्टर की नकल, मृतकों के आश्रितों को डेथ सर्टिफिकेट, शादी का पंजीकरण, जन्म पंजीकरण, वृद्धावस्था पैंशन के लिए फॉर्म भरने, मनरेगा के काम का मूल्यांकन, नए काम की DPR तैयार करने समेत सभी सिविल वर्क ठप हो गए हैं.
धर्मशाला में हड़ताल पर बैठे जिला परिषद कर्मियों और पंचायत के प्रधानों उप प्रधानों व संगठनों ने कर्मियों की मांगों को लेकर नारेबाजी की या प्रदेश सरकार के प्रति अपना रोष प्रकट किया है. इस मौके जिला परिषद काडर कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रधान सुरेश कुमार ने कहा कि जो कर्मचारी जिला परिषद में आते हैं उनका पंचायत में प्ले करना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन हमें यह समझ नहीं आ रहा कि सरकार क्या कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इन कर्मचारियों की मांगों को शीघ्र पूरा किया जाए ताकि पंचायतों में आ रहे करीब लोगों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े.
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