Rangbhari Ekadashi 2023 Kab Hai: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है. एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है.  हालांकि इस दिन सभी देवी-देवता की पूजा की जाती है. वहीं, यह एकमात्र ऐसी एकादशी है जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. 


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बता दें, रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी, आंवला एकादशी और आमलका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर भक्त भगवान को जमकर अबीर लगाते हैं. वहीं,  शिव के भक्त उनके ऊपर  अबीर-गुलाल उड़ाते हैं. इसका खास उत्साह उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में देखने को मिलता है. 


पूजा मुहूर्त और महत्व 
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माघ के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 2 मार्च दिन गुरुवार को सुबह 6.39 मिनट से शुरू होगी और दूसरे दिन यानी 3 मार्च दिन शुक्रवार को सुबह 9.11 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी 3 मार्च दिन शनिवार को मनाई जाएगी. 


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मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव यानि बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का गौना कराकर रंगभरी एकादशी के दिन पहली बार बाबा मां गौरा को काशी लेकर आए थे. तब शिव गणों और भक्तों ने भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत रंग और गुलाल से किया था. यही कारण है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है और उन्हें लाल गुलाल और रंग चढ़ाया जाता है. 


इस दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती की पूरे नगर में सवारी निकाली जाती है और उनका स्वागत लाल गुलाल और फूलों से होता है. जिसकी धूम ना सिर्फ काशी में ही होती है, बल्कि पूरे विश्व में देखने को मिलती है. 


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