विजय भारद्वाज/बिलासपुर: देश की विभिन्न संस्कृतियों को एक मंच पर प्रस्तुत करने और युवाओं को नशे से दूर रखने के मकसद से बिलासपुर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें 7 राज्यों के 100 से अधिक लोक कलाकारों ने हिस्सा लिया. राज्य कर और आबकारी विभाग की ओर से संचालित अभियान "नशा नहीं- जिंदगी चुनें" के अंतर्गत सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के माध्यम से उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर के ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया.


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यूपी से हरियाणा तक का दिखा जलवा
इस कार्यक्रम में असम का व्यूह और भोरताल, उत्तर प्रदेश का बरसाना की होली, मयूर डांस, राजस्थान का कालबेलिया, हरियाणा का घूमर और कोरिया, पंजाब का भांगड़ा, जिंदूआ और झूमर व गुजरात का सिद्धि धमाल सहित बिलासपुर का कहलुरी नृत्य सहित विभिन्न लोक गीतों की रंग बिरंगी प्रस्तुतियां दी गईं. इसके साथ ही पंजाबी सूफी गायक मोहम्मद इरशाद की ओर से पंजाबी और देशभक्ति गीतमाला के साथ बिलासपुर के लोक कलाकारों की ओर से धाजा शैली में लघु नाटिका मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं. इस सांस्कृतिक संध्या में एसडीएम बिलासपुर रामेश्वर दास और नगर परिषद अध्यक्ष कमलेन्द्र कश्यप मौजूद रहे. 


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सिंधु दर्शन फेस्टिवल के तहत हुआ सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन
वहीं, कार्यक्रम के दौरान बिलासपुर के लोगों ने विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति के नजदीक से दर्शन किए और युवाओं को नशे से दूर रखने की शपथ भी ली. इस दौरान एनजेडसीसी पटियाला के कार्यक्रम अधिकारी रविन्द्र शर्मा ने कहा सिंधु दर्शन फेस्टिवल के तहत सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन किया गया है जो कि कोविड के चलते बीते 2 वर्षों से नहीं हो पाया था, लेकिन इस बार इसे धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक यात्रा हुसैनीवाला से शुरू होती थी, लेकिन इस बार यह यात्रा जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से शुरू की गई है. 


यहां हुआ यात्रा का समापन
यह यात्रा आगे बढ़ती हुई द्रास में भारतीय सेना के शहीदों के लिए आयोजित कार्यक्रम और इसके बाद कारगिल में बोध खारबू में आयोजित कार्यक्रम के बाद लेह में पहुंची. जहां देश के अलग-अलग राज्यों के लोक कलाकारों ने अपनी-अपनी संस्कृति की झलक दिखाई. इसके बाद हिमाचल प्रदेश किलोंग, मनाली और आखिर में बिलासपुर में इस यात्रा का समापन हुआ है. 


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क्या है इस कार्यक्रम का उद्देश्य
वहीं रविन्द्र शर्मा ने कहा कि इस सांस्कृतिक यात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशे से दूर रखना और देश की जनता को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ना है ताकि युवा पीढ़ी को एक मंच के जरिए देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति से रूबरू करवाकर लोक संस्कृति को जिंदा रखा जा सके. इसके साथ ही आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति अपने लोक नृत्यों और गीतों को न भूल जाएं. वहीं, विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने भी बिलासपुर आने पर खुशी जाहिर करते हुए आगे भी इस तरह कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर अपनी संस्कृति को देश के कोने-कोने में पहुंचाने की बात कही है. 


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