हिमाचल के मंडी स्थित प्राचीन गणेश मंदिर में होती हैं सभी मनोकामना पूरी, पुजारी ने बताई खासियत
देशभर में हर आज गणेश चतुर्थी की धूम दिखाई दे रही है. हर कोई गणेश चतुर्थी की तैयारियों में मग्न होता दिखाई दे रहा है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में भी गणेश चतुर्थी को लेकर खास तैयारियां की जा रही हैं.
मंडी: हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य का दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि गणेश की पूजा किए बिना कोई शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए वरना वह काम अधूरा माना जाता है. गणेश चतुर्थी का त्योहार बुधवार यानी आज से शुरू हो रहा है. देश के अलग-अलग हिस्सो में आज से गणेश चतुर्थी के पावन त्योहार की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश का प्राकट्य हुआ था. इसी उपलक्ष्य पर आज महाराष्ट्र की तर्ज पर गणेश चतुर्थी की धूम छोटी काशी यानी हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी स्थित प्राचीन सिद्ध गणपति मंदिर में देखी गई.
क्या है मंडी में बने गणपति मंदिर की खासियत?
इस दौरान मंदिर ट्रस्ट के प्रवक्ता सी एम वर्मा ने बताया कि कोरोना काल के बाद इस बार करीब 2 साल बाद गणपति चतुर्थी को बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंडी में बने गणपति मंदिर की खासयित यह है कि 1686 में राजा सिद्धसेन ने अपनी मन्नतों को लेकर मंडी में बने इस एकलौते गणपति मंदिर की स्थापना की थी. उत्तर भारत में ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां यह गणपति मंदिर होने के साथ-साथ एक तांत्रिक मंदिर भी है. मान्यता है कि इस मंदिर में सभी भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.
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मंदिर के पुजारी ने बताईं खास बात
मंडी में बने इस गणपति मंदिर की जानकारी देते हुए यहां के पुजारी ने बताया कि मंदिर प्रांगण में आने वाले 9 दिन तक रोजाना धार्मिक अनुष्ठानों के साथ श्रीमद्भागवत गीता का प्रसारण करवाया जाएगा, जिसमें मंडी शहर के लोग बढ़-चढ़कर भाग ले सकते हैं और गीता में दिए हुए ज्ञान को अर्जित कर सकते हैं. वहीं 9 दिन विशेष पूजा-अर्चना के बाद गणेश जी का विसर्जन किया जाएगा. इस दिन भव्य जलेब और झांकी के साथ गणपति बप्पा को व्यास नदी में विसर्जित किया जाएगा.
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