हिमाचल प्रदेश अपने आप में प्रकृति की सुंदरता को समेटे हुए है. यहां ऐसी बहुत सी जगह हैं जो पर्यटकों की पहली पसंद हैं. इसके साथ ही हिमाचल के बारे में ऐसी बहुत सी बातें भी हैं जो प्रदेश को दूसरे राज्यों से अलग बनाती हैं. इसी खासियत में से एक है हिमाचल प्रदेश की दो राजधानियां होना. हिमाचल की दो राजधानियां क्यों हैं इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है.
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Himachal Capital: यह तो आप सभी को मालूम है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां राज्य और राजधानियों का हर नागरिक के जीवन में खास महत्व होता है, लेकिन जब आप छोटे होते हैं तो आपको स्कूल में भारत के मानचित्र पर दर्शाए गए राज्य और राजधानियों के बारे में पढ़ाया जाता है. हालांकि बचपन में ये सारी चीजें बहुत कॉम्लीकेटिड लगती हैं, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे राज्य और राजधानी के बारे में समझ आने लगता है.
ऐसे में जब राज्य और राजधानी की समझ होने लगती है तो सबसे पहली जो समझ आती है वो ये कि हर राज्य की अपनी एक राजधानी होती है, लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे राज्य के बारे में बताएंगे जिसकी एक नहीं बल्कि दो राजधानियां है. इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि आखिर इस राज्य की दो राजधानियां क्यों हैं.
हिमाचल प्रदेश की हैं दो राजधानियां
बता दें, भारत में एक नहीं बल्कि ऐसे कई राज्य हैं जिनकी दो राजधानियां है, जिनमें जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड शामिल है. इसमें पड़ाही राज्य हिमाचल प्रदेश भी शामिल है. हिमाचल प्रदेश की भी दो राजधानियां हैं शिमला और धर्मशाला. बता दें, 1971 में हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया था. तब से हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला थी, लेकिन 2017 में प्रदेश की दो राजधानियां बना दी गईं. बता दें, धर्मशाला को शीतकालीन और शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा जाता है.
19 जनवरी 2017 को बनाई गई दूसरी राजधानी
हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शहरों में शामिल धर्मशाला को 19 जनवरी 2017 को इसकी दूसरी राजधानी बना दिया गया. हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला को हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी घोषित कर दिया. सीएम वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला के इतिहास का जिक्र करते हुए इसे प्रदेश की राजधानी होने का हकदार बताया था. उनके इस फैसले बाद हिमाचल दूसरा ऐसा राज्य बना था जिसकी दो राजधानियां थीं. इससे पहले जम्मू कश्मीर दो राजधानियों वाला अकेला राज्य था. हालांकि इसके बाद आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड की दो राजधानियां बनाई गईं.
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धर्मशाला को क्यों बनाया गया दूसरी राजधानी?
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जब धर्मशाला को हिमाचल की दूसरी राजधानी बनाया तब उन्होंने कहा था कि धर्मशाला ऐसा शहर है जो प्राकृतिक, धार्मिक, राजनीतिक और साहसिक कारणों के साथ-साथ कई और कारणों से विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी खास पहचान बनाए हुए है. धर्मशाला यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. धर्मशाला को राजधानी बनाने से चंबा, ऊना, कांगड़ा और हमीरपुर जैसे निचले क्षेत्रों को फायदा होगा. इसके अलावा यह शहर तिब्बतियों के सवोच्च धर्मगुरू दलाईलामा का अस्थायी निवास स्थान भी है. इसी सब को ध्यान में रखते हुए धर्मशाला को राज्य की राजधानी का दर्जा दिया गया.
शिमला से पहले धर्मशाला को ही बनाया जाना था राजधानी
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बजट पेश करने के दौरान अचानक धर्मशाला को राजधानी घोषित कर दिया था, लेकिन यह कवायत पहली बार नहीं हुई थी. कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1852 में गवर्नर जनरल लॉर्ड एल्गिन हिमाचल के धर्मशाला आए थे. उस वक्त उन्होंने ब्रिटिश सरकार के सामने प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें कहा गया था कि धर्मशाला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया जाए, लेकिन उस वक्त धर्मशाला को छोड़ शिमला को राजधानी बना दिया गया था. इसके बाद 20 नवंबर 1853 को लॉर्ड एल्गिन की मौत हो गई और धर्मशाला को राजधानी बनाने की बात भी उन्हीं के साथ दफ्न हो गई.
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