संदीप सिंह/मंडी: इन दिनों भगवान शिव का प्रिय सावन महीना चला रह है. यह वो महीना है जब शिवालयों में विशेष आयोजन देखने को मिलते हैं. कहीं मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है तो कहीं भोले बाबा की विशेष पूजा अर्चना होती की जाती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शिवालय के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक-दो नहीं बल्कि बीते 45 वर्षों से ओम नमः शिवाय का अखंड जाप चल रहा है. यह मंदिर छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर में ब्यास नदी के तट पर स्थित है, जिसे 'एकादश रूद्र महादेव' मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस प्राचीन मंदिर में 11 शिवलिंग स्थापित हैं.


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बता दें, मंदिर का निर्माण सदियों पहले राजाओं के दौर में हुआ था. 45 वर्ष पहले मंदिर में सावन महीने के दौरान अखंड जाप को करने का निर्णय लिया गया था. प्रभु कृपा ऐसी रही कि यह कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हुआ और उसके बाद से अब यह इस मंदिर की एक परंपरा ही बन गई है. सावन के पूरे महीने रोजाना 24 घंटे 24 लोग इस मंदिर में क्रम से बैठकर ओम नमः शिवाय का अखंड जाप करते हैं. अखंड जाप में कोई विघ्न न पड़े, इसके लिए मंदिर की घंटियों को भी बांध दिया जाता है. 


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मंदिर के पुजारी स्वामी सत सुंदरम ने बताया कि यह सब भोले बाबा की कृपा से ही हो रहा है. उन्होंने बताया कि कलियुग में नाम जप का विशेष महत्व माना गया है. उसी के माध्यम से लोगों को इस परंपरा के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अलावा मंदिर में हर सोमवार को भगवान शिव का विशेष श्रृंगार किया जाता है और रोजाना मंदिर में लंगर के माध्यम से प्रभु का प्रसाद भी बांटा जाता है.


अखंड जाप को लेकर लोगों की आस्था और श्रद्धा इतनी प्रगाढ़ हो चुकी है कि अगर रात के 2 बजे किसी की डयूटी निर्धारित है तो वह आधी रात को नींद से उठकर नहा-धोकर मंदिर पहुंचेगा और जाप की निरंतरता को जारी रखते हुए इसे आगे बढ़ाएगा. यहां दिन-रात नहीं देखी जाती. देखी जाती है तो सिर्फ सच्ची श्रद्धा और आस्था. बीते 24 वर्षों से रमेश कुमार और बीते 20 वर्षों से गायत्री देवी निरंतर इस जाप का हिस्सा बनते आ रहे हैं. इन्होंने बताया कि अखंड जाप में अपना योगदान देना इन्हें बहुत ज्यादा उत्साहित करता है. जाप के दौरान मिलने वाली अनुभूति शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है.


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बता दें, मंडी शहर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां भगवान शिव के सर्वाधिक मंदिर हैं. हर मंदिर की अपनी एक अलग विशेषता और महत्व है. सावन और शिवरात्रि के अलावा भी यहां साल भर शिवालयों में तरह-तरह के विशेष आयोजन चले रहते हैं, जिनमें शामिल होने के लिए  दूर-दूर भक्त से यहां आते हैं. 


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