इस हिंदू राजा ने दी थी अलीगढ़ मु्स्लिम यूनिवर्सिटी को जमीन; महात्मा गांधी के साथ भी किया काम
Raja Mahendra Pratap Singh: राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ मु्स्लिम यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए जमीन दान में दी थी. वह स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम किया. उन्होंने देश को आजादी दिलाने में अहम किरदार अदा किया.
Raja Mahendra Pratap Singh: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक के दर्जे को बरकरार रखा है. यह पहली बार नहीं है, जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी विवादों में रही है. इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को जमीन देने वाले राजा के वंशज यूनिर्सिटी से अपनी जमीन मांग चुके हैं. हालांकि, यह मामला सुलझा लिया गया. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि वह कौन से हिंदू राजा थे, जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को जमीन दान की थी.
राजा महेंद्र प्रताप और AMU
जिस राजा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए जमीन दान की थी उनका नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह है. वह स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और समाज सुधारक थे. वह मथुरा से चुनाव जीतकर संसद भी पहुंच चुके हैं. ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें निशाना बनाया. वह जापान में जाकर बस गए. उन्हें नोबल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था. न्यूज 18 ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि जब भारत को आजादी मिली, उसके बाद राजा महेंद्र प्रताब सिंह ने महात्मा गांधी के साथ काम करना शुरू कर दिया.
शुरूआती जिंदगी और शादी
राजा महेंद्र प्रताब सिंह की पैदाईश 1886 में हाथरस में हुई थी. साल 1902 में उनकी शादी हुई. इसके बाद उन्होंने मथुरा में अपना मकान को एक स्कूल बनाने के लिए दान कर दिया. साल 1909 में यहां प्रेम महाविद्यालय नाम का स्कूल बना. बताया जाता है कि यह देश का पहला पॉलिटेक्निक कॉलेज है.
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यूनिवर्सिटी के लिए दान की जमीन
राजा महेंद्र प्रताप सिंह की पढ़ाई अलीगढ़ के सरकारी स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ के मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज में दाखिला लिया. इसी को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बतौर जाना जाता है. इंडियन एक्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राजा महेंद्र प्रताप के पिता और दादा सर सैय्यद अहमद खां के करीबी थे. जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की बात हुई तो महेंद्र प्रताप ने जमीन देने का फैसला किया. पहले उनके परिवार ने कुछ जमीन दान में दी वहीं साल 1929 में महेंद्र प्रताप ने 3.9 एकड़ जमीन पट्टे पर दी.
महेंद्र प्रताप के बारे में खास
राजा महेंद्र प्रताप सिंह की गिनती देश के स्वतंत्रता सेनानियों में होती है. उन्होंने 1915 में काबुल में भारत की पहली स्थाई सरकार की घोषणा की. वह खुद राष्ट्रपित बने. उन्होंने कई देशों की यात्रा की ताकि भारत को आजाद कराने में लोगों से मदद ली जा सके. साल 1932 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. 32 सालों तक विदेशों में रहने के बाद आखिरकार वह भारत लौट आए. उन्होंने राजनीति में आकर कई बदलाव लाने की कोशिश की. साल 1979 में उनका देहांत हो गया. साल 2021 में सरकार ने उनके नाम पर एक विश्विद्यालय बनाने का ऐलान किया.