नए टीवी शो श्रीमद रामायण में 'श्रवण कुमार'की भूमिका निभाएगा एक मुस्लिम कलाकार
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नए टीवी शो श्रीमद रामायण में 'श्रवण कुमार'की भूमिका निभाएगा एक मुस्लिम कलाकार

Mohammad Saud Mansoori in 'Shrimad Ramayan Tv Show: आने वाले  माइथोलॉजिकल शो 'श्रीमद रामायण' के स्टार एक्टर मोहम्मद सऊद मंसूरी ने अपने किरदार 'श्रवण कुमार' के बारे में अपनी भूमिका का खुलासा किया है. इसमें वह अपने माता-पिता के प्रति पितृभक्ति और उनके अद्भुत जीवन को दर्शाएंगे. 

नए टीवी शो श्रीमद रामायण में 'श्रवण कुमार'की भूमिका निभाएगा एक मुस्लिम कलाकार

Mohammad Saud Mansoori in 'Shrimad Ramayan Tv Show: मोहम्मद सऊद मंसूरी ने आने वाले माइथोलॉजिकल शो 'श्रीमद रामायण' में अपनी भूमिका के बारे में खुलासा किया जिसमे वे  'श्रवण कुमार' का किरदार निभा रहे हैं. इस पौराणिक शो का प्रसारण 1 जनवरी को सोनी चैनल पर होगा, जिसमें एक्टर सुजय रे भगवान राम का किरदार में, प्राची बंसल देवी सीता के रूप में, निकितिन धीर रावण के रूप में, निर्भय वाधवा हनुमान के रूप में और बसंत भट्ट लक्ष्मण के रूप में नजर आएंगे.

क्या बोले  मोहम्मद सऊद मंसूरी
माइथोलॉजिकल शो 'श्रीमद रामायण' में अपने किरदार निभाने के लिए उत्साह दिखाते हुए मंसूरी ने  इस पौराणिक गाथा के माध्यम से भारतीय परिवारों को एक प्राचीन आध्यात्मिक युग में ले जाने का वादा किया है, जो आज भी समर्पित और सदाचार से भरा हुआ है. सऊद ने बताया कि यह उनका दूसरा पौराणिक शो होगा, पहला जो 'जय जय जय बजरंग बली' में भगवान राम के युवा रूप की भूमिका निभाने के बाद आ रहा है. उन्होंने अपने किरदार 'श्रवण कुमार' के बारे में बताते हुए कहा कि इस कहानी में श्रवण कुमार अपने माता-पिता के प्रति अपनी पितृभक्ति के लिए जाने जाते हैं और इसके दृष्टिहीन माता-पिता के साथ उनके यात्रा का एक अनोखा सफर होता है.

रामायण में श्रवण की भूमिका
श्रवण कुमार की अनोखी कहानी को बताते हुए, सऊद ने आगे उनके यात्रा का वर्णन किया, जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता को चार पवित्र स्थानों पर ले जाने के लिए कठिनाईयों का सामना किया और इसके लिए उन्होंने अपनी प्रेम और समर्पण से भरी एक अद्वितीय कहानी बयां की है.जब श्रवण कुमार वृद्ध हो जाते हैं, तो उन्हें हिंदू तीर्थस्थलों के चार सबसे पवित्र स्थानों पर अपने माता-पिता को ले जाने का इच्छुक होते हैं. लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति इसके लिए अनुमति नहीं देती है, इसलिए उन्होंने एक अद्वितीय निर्णय लिया है. उन्होंने अपने माता-पिता को एक टोकरी में रखने और इन टोकरियों को एक बांस में बांधने का फैसला किया, ताकि वह उन्हें तीर्थयात्रा के दौरान अपने कंधों पर उठा सकें. 

मोहम्मद सऊद ने इस कहानी को रामायण के संदर्भ में बताते हुए कहा कि श्रवण कुमार का जीवन विशेष है, क्योंकि इसमें उनकी म्रत्यु तत्कालीन राजा दशरथ द्वारा गलती से हो जाती है, और म्रत्यु के बाद रजा दशरथ को श्रवण कुमार के माता पिता श्राप दे देतें हैं  की जिस तरह वे लोग अपने बेटे के लिए रोए हैं, राजा दशरथ भी अपने बेटे के लिए रोएंगे. यह भारत में प्रचिलित एक पारम्परिक कथा है. सऊद ने यह भी बताया कि हालांकि उनका श्रवण का किरदार केवल एक कैमियो में हैं, लेकिन कहानी में उनका योगदान महत्वपूर्ण है और यह माइथोलॉजिकल गाथा को और भी दिलचस्प बनाये रखेगा.

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