Fatty Liver: भारत में हर तीसरा आदमी फैटी लिवर से पीड़ित; लापरवाही दे सकता है कैंसर
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2323292

Fatty Liver: भारत में हर तीसरा आदमी फैटी लिवर से पीड़ित; लापरवाही दे सकता है कैंसर

Fatty Liver: नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर, लीवर सिरोसिस, प्राइमरी लिवर कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी कई दीगर बीमारियों से पहले का लक्षण हो सकता है. इसलिए इसे नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए.  

अलामती तस्वीर

नई दिल्ली:  केंद्रीय विज्ञान और  प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत में हर तीसरा इन्सान फैटी लिवर से पीड़ित है, जो टाइप-2 मधुमेह और मेटाबोलिक डिसऑर्डर के पहले की कैफियत है.  

राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र ने कहा, ''नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज एक आम मेटाबोलिक लिवर डिसऑर्डर है, जो बाद में सिरोसिस और प्राइमरी लिवर कैंसर में बदल सकता है. यह मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कई दीगर बीमारियों से पहले होता है. एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के तौर पर मैं फैटी लिवर की बारीकियों और मधुमेह और दूसरे मेटाबोलिक डिसऑर्डर के साथ इसके संबंध को बखूबी समझता हूं.''

वह शुक्रवार को दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में मेटाबोलिक लिवर रोगों की रोकथाम और इलाज के लिए एक वर्चुअल नोड, इंडो फ्रेंच लिवर एंड मेटाबोलिक डिजीज नेटवर्क के इफ्तेताह के मौके पर बोल रहे थे. इस नोड में  फ्रांसीसी और 17 भारतीय डॉक्टर संयुक्त काम करेंगे. 

मंत्री ने कहा, ''भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप दोनों में जीवन शैली और खान पान में तब्दीली और ख़ास तौर से मधुमेह और मोटापे जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में इजाफा होना है. '' उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में यह डिजीज लगभग 20 फीसदी गैर-मोटे मरीजों में होती है, जबकि पश्चिम में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के ज़्यादातर मामले मोटापे से जुड़े हुए हैं.

उन्होंने आगे कहा, "भारत और फ्रांस दोनों में अल्कोहलिक लिवर डिजीज के काफी मामले हैं. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज और अल्कोहलिक लिवर डिजीज दोनों ही स्टेटोसिस से लेकर स्टेटोहेपेटाइटिस सिरोसिस और एचसीसी तक एक समान प्रगति प्रदर्शित करते हैं.

डॉ. जितेंद्र ने कहा, 'भारत न सिर्फ उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा में बल्कि निवारक स्वास्थ्य सेवा में भी वैश्विक अग्रणी बन गया है, जो पिछले दशक में भारत की प्रगति को दर्शाता है.''
उन्होंने कहा, "फैटी लिवर के विभिन्न चरणों और गंभीर, पूर्ण विकसित बीमारियों में उनकी प्रगति का पता लगाने के लिए सरल, कम लागत वाले नैदानिक ​​परीक्षण विकसित करने की ज़रूरत है. " उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण और एल्गोरिदम भारतीय संदर्भ के अनुरूप होने चाहिए, कम कीमत के साथ सावधानी बरतने वाले होने चाहिए. 

Trending news