America China: ग़ाज़ा में इज़रायल की तरफ़ से किए जाने वाले लगातार हमले की वजह से होने वाली हलाकतों के ख़िलाफ़ यमन के हूती विद्रोहियों ने रेड सी में इज़रायल और अमेरिका की नींद हराम कर दी है.  आपको बता दें कि रेड सी एक बड़ा तिजारती समुंदरी कोरिडोर है, जहां से दुनिया के तक़रीबन सभी मुमालिक के जहाज़ गुज़रते हैं. यमन के हूतियों का रेड सी में ख़ासा असर है. जब से ग़ाज़ा में इज़रायल की तरफ़ से फ़िलिस्तीनीयों की नस्लकुशी की जा रही है, तब से यमन के हूतियों ने इज़रायल और अमेरिका के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया है और यहां से गुज़रने वाले दोनों मुमालिक के जहाज़ को निशान बना रहे हैं. 


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हूतियों पर दबाव
इससे इनकी तिजारत बुरी तरह मुतास्सिर हो रही है और हूतियों की तरफ़ से ऐसा करने का मक़सद फ़िलिस्तीनीयों की हिमायत और ग़ाज़ा में फ़ौरी जंगबंदी के लिए इज़रायल और अमेरिका को मजबूर करना है. बहरहाल अमेरिका ने रेड सी में अपने जहाज़ को हूतियों से बचाने के लिए कई जतन किए लेकिन वो नाकाम रहा. अब आख़िरी कार्ड अमेरिका ने खेला और चीन से कहा कि वो रेड सी में हूतियों के हमले को रोकने में मदद करे. अब चीन ने ईरान पर दबाव डालना शुरू कर दिया है. हूतियों के हमले को रोकने में अपना रोल अदा करे, वर्ना चीन के साथ ईरान के ताल्लुक़ात और तिजारत पर असर पड़ सकता है. एक और अहम बात ये है कि चीन ने ईरान से इसलिए ये अपील की है, क्योंकि यमन का हूती ग्रुप ईरान हामी है. ईरान ही इसे हथियार, माल, तरबियत और दीगर तरह की मदद फ़राहम करता है. अब देखने वाली बात ये है कि रेड सी में हौसियों पर कंट्रोल ईरान के ज़रिए मुमकि है या नहीं.


क्या है मामला?
इससे पहले 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था. इस हमले में इजरायल के 1200 लोग मारे गए थे. इसके जवाब में इजरायल ने हमास वाले इलाके गाजा में पहले हवाई हमला किया उसके बाद जमीनी कार्रवाई शुरू की. इन हमलों अब तक गाजा में 25 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. तकरीबन 10 हजार लोग मलबे में दबे हैं. 60 लाख से ज्यादा लोग अपने घर से बेघर हो गए हैं. यमन के हूती विद्रोही इससे नाराज हैं. उनकी मांग है कि अब सीजफायर होना चाहिए.