भारत में बसेगी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी; पिव्यू रिपोर्ट का दावा
Muslim News: एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि अगले 40 सालों में मुसलमानों की आबादी बढ़ने वाली है. इसका असर भारत पर भी पडेगा. भारत में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी होगी. फिलहाल सबसे ज्यादा इंडोशिया में मुस्लिम आबादी है.
Muslim News: एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि साल 2050 तक भारत एक ऐसा देश बन जाएगा जहां पर पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लि होंगे. फिलहाल इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा मुसलमान बसते हैं. भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़ देगा. स्टडी के मुताबिक साल 2050 तक भारत में हिंदुओं की आबादी तीसरे नंबर पर रहेगी. पिव्यू रिसर्च सेंटर के विश्लेषकों का मानना है कि अगली 4 दहाईयों में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम पॉपुलेशन बढ़ने वाली है. मुस्लिम आबादी पूरी दुनिया की आबादी में संख्या और हिस्सेदारी दोनों में ईसाइयों के तकरीबन बराबर है.
मुस्लिम आबादी बढ़ेगी
अगर जनसांख्यिकीय रुझान ऐसे ही रहे तो पूरी दुनिया में क्रिश्चियन सबसे ज्यादा रहेंगे. साल 2050 तक क्रिश्चियन की आबादी 2.92 अरब रहेगी. इस दौरान मुसलमानों की आबादी में 2.76 अरब हो जाएगी. गुरुवार को जारी अनुमानों के मुताबिक, दोनों धार्मिक ग्रुप की तादाद दुनिया भर की आबादी का लगभग 30% है. विश्लेषकों का कहना है कि एक समूह के रूप में मुसलमान युवा हैं और दूसरे धर्मों के लोगों की तुलना में उनके ज्यादा बच्चे हैं, जिससे उनकी पूरी दुनिया में बढ़ोतरी हो रही है.
सबसे ज्यादा होंगे इस्लाम को मानने वाले
एशिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इसलिए रहेगी क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा प्रजनन दर वाली मुस्लिम युवा आबादी बसती है. पिव्यू रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप की पूरी आबादी में मुस्लिम आबादी 10 फीसद रहने का अनुमान है. अगर यह रुझान जारी रहा तो साल 2070 तक पूरी दुनिया में इस्लाम सबसे ज्यादा मशहूर मजहब होगा.
कितनी होगी हिंदू आबादी?
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक पूरी दुनिया में हिंदुओं की आबादी में 34 फीसद की बढ़ोतरी होगी. इस तरह से हिंदुओं की आबादी 1 अरब से बढ़कर 1.4 अरब हो जाएगी. यह आबादी पूरी दुनिया का 14.9 फीसद है. भारत में सबसे ज्यादा हिंदुओं की आबादी होगी, लेकिन पूरी दुनिया में जिस देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी होगी वह भारत होगा.
किस आधार पर तैयार हुई रिपोर्ट
"द फ्यूचर ऑफ वर्ल्ड रिलीजियन" नाम की रिपोर्ट जन्म-मृत्यु दर, धर्मांतरण की दरों, जनगणना, जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों और दूसरी रिपोर्टों से हासिल जानकारियों पर आधारित है. यह रिपोर्ट लोगों से पूछताछ के बाद तैयार की गई है. इसमें लोगों से पूछा गया कि वह किस मजहब को मानते हैं.