Wakf Board Act: वक्फ बोर्ड बिल 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था. जिसके बाद सदन में भारी हंगामा हुआ था. जिसके बाद जेपीसी का गठन किया गया था.
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Wakf Board Act: वक्फ बोर्ड से जुड़े दो संसोधन बिल के मुख्तलिफ पहलुओं पर विचार कर रही पार्लियामेंट की JPC कमेटी ने वक्फ बोर्ड के जानकारों और कई दूसरे संगठनों ने इस बिल पर सुझाव मांगे हैं. यह विधेयक केंद्र सरकार की पहली बड़ी पहल है. जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में सुधार करना है.
JPC ने मांगे हैं कई सुझाव
लोकसभा सचिवालय के जरिए जारी एक बयान के मुताबिक, बीजेपी के सीनियर नेता जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली समिति ने बिल के ‘व्यापक प्रभावों’ को देखते हुए आम जनता और गैर सरकारी संगठनों, वक्फ के जानकारों और संस्थानों से विशेष रूप से विचार मांगे हैं. लोगों से अगले 15 दिनों के भीतर लिखित में अपने सुझाव साझा करने को कहा गया है.
बयान में आगे कहा गया है कि जेपीसी को सौंपे गए ज्ञापन और सुझाव, समिति के रिकॉर्ड का हिस्सा होंगे और उन्हें ‘गोपनीय’ माना जाएगा. इसमें यह भी कहा गया कि अगर कोई समिति के समक्ष उपस्थित होना चाहता है तो लिखित में विचार प्रस्तुत करने के अलावा उसे अपने पत्राचार में विशेष रूप से इसका संकेत देना होगा.
इस बिल को लेकर भाजपा दे रही है ये दलील
यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पहली बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में सुधार करना है. इसमें कई सुधारों का प्रस्ताव है, जिसमें केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व वाले राज्य वक्फ बोर्ड शामिल हैं.
8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था बिल
बिल के एक विवादास्पद प्रावधान में जिला मजिस्ट्रेट को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकारी के रूप में नामित करने का प्रस्ताव है कि कोई संपत्ति वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत है या नहीं. यह बिल 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था.