इराक के शहर कर्बला में जुटे करोड़ो ज़ायरीन, मनाया जा रहा है पैग़म्बर साहब के नवासे का चेहलुम
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इराक के शहर कर्बला में जुटे करोड़ो ज़ायरीन, मनाया जा रहा है पैग़म्बर साहब के नवासे का चेहलुम

Iraq News: हर साल की तरह इस साल भी मुल्कभर से लाखों जायरीन इमाम हुसैन के बलिदान को याद करने के लिए कर्बला पहुंच गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक 30 लाख से ज्यादा जायरीन ईराक के बगदाद पहुंच चुके हैं.

इराक के शहर कर्बला में जुटे करोड़ो ज़ायरीन, मनाया जा रहा है पैग़म्बर साहब के नवासे का चेहलुम

Arbaeen: पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत (अरबईन ) की सालगिरह मनाने के लिए लाखों जायरीन इराक के पाक शहर कर्बला पहुंच रहे हैं. काले कपड़े में जायरीन की शनिवार को भी कर्बला में इमाम हुसैन के पाक  मकामात पर भारी भीड़ देखने को मिली. वहीं, इराकी सुरक्षा मीडिया सेल के प्रमुख तहसीन अल-खफाजी ने कहा कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुक्रवार तक 30 लाख से ज्यादा शिया मुस्लिम ईराक पहुंच चुके हैं.

अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए थे इमाम हुसैन
बता दें कि 680 ईस्वी में कर्बला की लड़ाई के दौरान इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ अन्याय, उत्पीड़न और निरंकुशता के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए थे. उनकी शहादत की सालगिरह के मौके पर यहां एक सप्ताह तक जुलूस निकालकर इमाम हुसैन को याद करते हैं. इमाम हुसैन की शहादत का ये सालाना प्रोग्राम दुनिया की सबसे बड़ी मजहबी इजतमा में से एक है. इस दौरान जायरीन नजफ और कर्बला के पाक शहरों के बीच 80 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं.

इसराइल-गजा की जंग ने सिया-सुन्नी के बीच खाई को किया कम 
गाजा में इसराइली फौजियों के द्वारा जारी कत्लेआम 11वें महीने में पहुंच चुका है.  इसराइल ने पिछले महीने तेहरान में हमास के नेता इस्माइल हानियेह की हत्या कर दी थी. इसके बाद पश्चिम देशों में इस वक्त भारी तनाव है. हुसैन की शहादत ने इस्लाम के दो कम्युनिटी सुन्नी और शिया के बीच खाई को और बढ़ा दिया था. हालांकि,अब दोनों के बीच यह खाई अब कम हो चुकी है. इसकी सबसे बड़ी वजह गाजा में फ़लस्तीनियों के साथ इसराइल क्रूरतापूर्ण रवैया.

इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक कब होता है अरबईन?
शिया जायरीन आम तौर पर हर साल इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक दूसरे महीने यानी सफ़र के 20वें दिन अरबईन का सम्मान करने के लिए दुनिया भर से ईराक आते हैं. इस सफर का समापन कर्बला की लड़ाई के दौरान जहां पर हुसैन और उनके सौतेले भाई इमाम अब्बास शहीद हुए थे वहीं पर किया जाता है.

कई मुल्कों से कर्बला पहुंचे जायरीन 
नजफ और कर्बला के पाक शहरों के बीच पैदल दूरी तय करने के दौरान जायरीन के खाना और अन्य सेवाओं का ध्यान रखा जाता है. रोड के बगल में मौकेब (तंबू) और खास स्टैंड बनाए जाते हैं. ताकि जायरीन को किसी भी तरह से कोई दिक्त नहीं हो.

हर साल की तरह इसबार भी ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, भारत, बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब समेत कई देशों के जायरीन इराक की राजधानी बगदाद से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में मौजूद कर्बला पहुंचे हैं.

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