NCPCR on Madrassa: राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग यानी एनसीपीसीआर (NCPCR) के केंद्र और राज्य सरकारों से मदरसों की फंडिंग बंद करने की डिमांड को लेकर सियासत गरमा गई है. देश की कई विपक्षी पार्टियां NCPCR के इस मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाए हैं. आम आदमी पार्टी  ने कहा कि महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने कल ही मदरसों के शिक्षकों की तनख्वाह बढ़ाने का ऐलान किया है. दूसरी तरफ, मदसरे की फंडिंग बंद करने की सिफारिश हो रही है. फंडिंग बंद कर दी जाए तो तनख्वाह कहां से दी जाएगी?


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NCPCR यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निदेशक प्रियांक कानूनगो ने मदरसा बोर्ड को भंग करने की मांग करते हुए सभी राज्यों को लेटर लिखा है. NCPCR के इस मांग को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. दरअसल, NCPCR ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इसमें मदरसों के इतिहास और "बच्चों के बुनियादी शिक्षा के हक के उल्लंघन में उनकी भूमिका" का उल्लेख किया गया है. इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि मदरसों को दिया जाने वाला सरकारी फंड बंद होना चाहिए.


NCPCR ने लेटर लिखकर की ये मांग
NCPCR ने तैयार की गई 11 अध्याय की रिपोर्ट के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को लेटर लिखा है. जिसमें उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मांग करते हुए कहा है कि मदरसों को राज्य की तरफ से दिया जाने वाला वित्त पोषण बंद कर दिया जाना चाहिए और मदरसा बोर्ड को भंग कर दिया जाना चाहिए.


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हैरान हूं बीजेपी की सोच पर; सौरभ भारद्वाज
NCPCR के इसी मांग को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी पर हमलावर हो गई है. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार किस तरीके से चल रही है, इसे कौन चला रहा है.  भारतीय जनता पार्टी की एक तरफ सरकारी मदरसों में पढ़ने वाले मौलवियों की तनख्वाह बढ़ा रही है और दूसरी तरफ से कह रही है की फंडिंग बंद कर दी जाए. तो तनख्वाह कहां से दी जाएगी? मैं हैरान हूं कि भारतीय जनता पार्टी क्या सोच रही है क्या चाह रही है ?


दिवाली से पहले मदरसे के शिक्षकों को शिंदे सरकार का तोहफा 
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी की शिंदे सरकार ने कल मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की तनख्वाह बढ़ाने का ऐलान किया है. शिंदे की अगुआई वाली 'महायुती' सरकार ने  गुरुवार को दीवाली से पहले मदरसा के टीचर्स को बड़ा तोहफा देते हुए मदरसों के डी.एड., बी.एड. टीचर्स के सैलरी को बढ़ाने का ऐलान किया है. साथ ही शिंदे मंत्रिमंडल ने मौलाना आजाद माइनॉरिटी इकॉनोमिक डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन की शेयर पूंजी को 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करने की भी मंजूरी दे दी है. 


मोदी की नीति से हजारों शिक्षक भूखमरी के शिकार 
वहीं, इस पर दानिश अली ने कहा कि NCPCR एक तरफ कह रहा है कि मुसलमानों में अशिक्षा है, दूसरी तरफ वो कह रहे हैं कि मदरसों की फंडिंग को रोक देना चाहिए. जबकि यूपीए की मनमोहन सरकार ने सभी को शिक्षा का मूल अधिकार दिया. मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए एक स्कीम चलाई गई. मदरसों में इंग्लिश और साइंस के शिक्षकों को नियुक्त किए गए. लेकिन, जब से मोदी सरकार आई है तब से इस नियम को बंद कर दिया गया. मोदी सरकार की इस नीति की वजह से हजारों शिक्षक भूखमरी के शिकार हो गए हैं. सरकार इस मुल्क में एक वर्ग को शिक्षित नहीं बनाना चाहती है. अगर 12 हजार की मानदेय में अंग्रेजी, साइंस के शिक्षकों दिया जा रहा था,  तो कौन सा गुनाह हो रहा था.