Afghanistan News: तालिबान का अफगानिस्तान पर पिछले तीन सालों से कब्जा है. इस वक्त देश की आधी आबादी भुखमरी, गिरती अर्थव्यवस्था जैसे तमाम चुनौतियों से घिर चुकी है. वहां, के लोग जिंदा बचे रहने के लिए जद्दोजहद का सामना रहे हैं. वहीं, तालिबान के शासन में सबसे मुश्किल जिंदगी महिलाओं की है. दिन-ब-दिन वहां महिलाओं की हातात और खराब हो रहे हैं. 


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फ्रिबा रेज़ाई ने तालिबान पर लगाए गंभीर इल्जाम
इस बीच ओलंपिक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला फ्रिबा रेज़ाई तालिबान पर बड़ा इल्जाम लगाया है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार से बहुत डरी हुई हैं और अफगानिस्तान को पेरिस खेलों से बाहर रखने के लिए अभियान चला रही हैं.


अफगानिस्तान पर बैन की मांग
वहीं, एथेंस में 2004 ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले जूडोका रेज़ायी ने तालिबान के मानवाधिकार रिकॉर्ड की वजह से अफगानिस्तान पर बैन लगाने के लिए इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) से मांग की है. उन्होंने तर्क दिया है कि तालिबान महिलाओं और बच्चों के साथ क्रूर व्यवहार करता है. ऐसे में IOC ऐसे हालात में अगर आईओसी उन्हें 2024 में यूरोप के केंद्र पेरिस में ओलंपिक में दाखिल होने की इजााजत देता है, तो यह लोगों के लिए बहुत खतरनाक है.


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी एक मिसाल स्थापित करेगा कि एक आतंकवादी समूह को होना ठीक है. आप लोगों को पत्थर मारकर कल्त कर सकते हैं, लेकिन आप अभी भी ओलंपिक में हिस्स ले सकते हैं."


क्या है पूरा मामला
दरअसल, तालिबान में महिलाओं के खिलाफ अत्यचार बढ़ चुका है. महिलाओं को लेकर रोजाना कोई न कोई घटनाएं सामने आती रहती हैं. तालिबान ने लड़कियों के उच्च विद्यालयों को बंद कर दिया है और पुरुष अभिभावक के बिना महिलाओं पर यात्रा बैन लगा दिया. इसी वजह से ओलंपिक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला फ्रिबा रेज़ाई ने 2024 में यूरोप के केंद्र पेरिस में ओलंपिक में तालिबान को बैन करने की गुजारिश की है.


तालिबान ने टिप्पणी करने से किया इनकार
वहीं, तालिबान प्रशासन के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. तालिबान ने कहा है कि जो कहते हैं कि वे इस्लामी कानून की स्थानीय रीति-रिवाजों के मुताबिक महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करते हैं.