मोरीगांव / शरीफ उद्दीन अहमद:  इस्लाम धर्म में इंसान को हर तरह के नशे से दूर रहने की सलाह दी गई है. ताड़ी, शराब, ड्रग्स सहित उन सभी मादक पदार्थों का सेवन करने से मना किया गया है, जिसे लेने से नशा पैदा होता है. इसका खाना-पीना, इसका कारोबार करना, इसका उत्पादन करना या इसमें किसी तरह का सहयोग देने को बड़ा पाप यानी हराम करार दिया गया है, और इन कुरान के इन आदेशों की नाफरमानी करने वालों के लिए मरने के बाद बड़ी सजा का ऐलान किया गया है. इसका सेवन करने वाला शख्श अपने होश- ओ-हवास खो देता है. लेकिन यह विडंबना है कि जिस धर्म में नशे को लेकर इतनी सख्त हिदायतें दी गई हैं, उस धर्म के मानने वाले इसका खुलेआम कारोबार और सेवन दोनों कर रहे हैं. हालांकि मुस्लिम समाज के लोगों ने अब फैसला किया है कि ड्रग्स का कारोबार या इसका सेवन करने वाले लोगों को वह खुद सबक सिखाएगा. 


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ड्रग्स कारोबार के लिए बदनाम हो रहा है मुस्लिम बहुल इलाका 
असम के मोरीगांव जिले के मोइराबरी टाउन का इलाका इन दिनों ड्रग्स कारोबार के लिए बदनाम है. यहां की मुस्लिम आबादी के कुछ लोग ड्रग्स कारोबार से जुड़े हुए हैं. वह न सिर्फ इसका गैर-कानूनी कारोबार कर रहे हैं, बल्कि इसका धड़ल्ले से सेवन भी कर रहे हैं. आए दिन यहां पुलिस का छापा पड़ता है, और ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है. पुलिस अब तक ड्रग्स कारोबार में लिप्त कई बदमाशों का एनकाउंटर भी कर चुकी है. इसके बावजूद इलाके के शरीफ मुसलमान इस बात से नाराज हैं कि आए दिन उन्हें इस बात के लिए बदनामी उठानी पड़ रही है कि उनके कौम के लोग ड्रग्स के अवैध कारोबार में लिप्त हैं. पुलिस-प्रशासन से लेकर आमजन तक इलाके के मुसलमानों को संदिग्ध नजर से देखते हैं. 


सही रास्ते पर लाने के लिए लिया गया फैसला 
ड्रग्स कारोबारियों को सबक सिखाने के लिए समाज के लोगों ने कुछ सख्त फैसले लिए हैं, जिसकी काफी सराहना की जा रही है. मोइराबरी टाउन कब्रिस्तान के कमेटी ने अपने तरफ से एक फैसला लिया है कि उनके कब्रिस्तान में ड्रग्स के व्यापार करने वाले और ड्रग्स का सेवन करने वाले लोगों के मरने के बाद न तो उन्हें अपने कब्रिस्तान में दफनाने दिया जाएगा. कब्रिस्तान कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट जहीरुल हक ने कहा कि 36 मेंबर के कमेटी ने फैसला लिया है कि आने वाले दिनों में हमारे कब्रिस्तान में ड्रग्स के व्यापार में जुड़े हुए लोगों को हमारे कब्रिस्तान में दफन नहीं किया जाएगा. यहां तक कि इसके आरोप में अगर किसी का एनकाउंटर होता है तो उसकी भी न तो जनाजे की नमाज पढ़ाई जाएगी और न ही उसे मुस्ल्मि रीति-रिवाज से दफनाने दिया जाएगा. वहीं, कमेटी अध्यक्ष महबूब मुख्तार ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है कि ताकि लोग इस गलत काम को छोड़कर सही राह पर आ जाएं, नहीं तो पूरी कौम बर्बाद हो जाएगी. 


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