Google Chrome Valuation: क्रोम दुनिया का सबसे पॉपुलर वेब ब्राउजर है. दुनिया भर में करोड़ों लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. अगर अदालत Google को Chrome ब्राउजर बेचने का आदेश देती है, तो इसकी कीमत करीब 20 अरब डॉलर हो सकती है. अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है.
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Google Chrome Case: गूगल क्रोम दुनिया का सबसे पॉपुलर वेब ब्राउजर है. दुनिया भर में करोड़ों लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. बीते दिनों खबर आई थी कि अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट से उसके Chrome इंटरनेट ब्राउजर को बेचने का आदेश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है. ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक अगर अदालत Google को Chrome ब्राउजर बेचने का आदेश देती है, तो इसकी कीमत करीब 20 अरब डॉलर हो सकती है. अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है.
इतनी ज्यादा कीमत क्यों?
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के मुताबिक Chrome के इतनी ज्यादा कीमत होने की वजह इसके 3 अरब से ज्यादा मंथली एक्टिव यूजर्स. इसके अलावा Chrome गूगल के विज्ञापन बिजनेस के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिकी न्याय विभाग जज से ब्राउजर को गूगल की मूल पेरेंट कंपनी अल्फाबेट से अलग करने का आदेश देने के लिए कहने की तैयारी कर रहा है.
ब्राउजर के रूप में क्रोम की पॉपुलैरिटी इस बात से समझी जा सकती है कि इसका इस्तेमाल करने वाले 61% लोग हैं. इसके अलावा यह Google के विज्ञापन बिजनेस के लिए भी महत्वपूर्ण है. गूगल के विज्ञापन बिजनेस को क्रोम का डेटा मदद करता है. यह डेटा गूगल को विज्ञापनों को ज्यादा प्रभावी ढंग से दिखाने में मदद करता है. इसके अलावा यह गूगल के AI प्रोडक्ट को भी पहुंचाने में मदद करता है.
कौन खरीद सकता है Chrome?
इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रोम को खरीदने वाला मिलना मुश्किल हो सकता है. हालांकि, इसेको खरीदने के लिए अमेजन जैसी कई बड़ी कंपनियां दिलचस्पी दिखा सकती हैं. लेकिन उन्हें जांच का सामना करना पड़ सकता है. इस तरह के बड़े लेन-देन पर सरकार की नजर रहती है, इसलिए सौदा आसान नहीं होगा. कुछ AI कंपनियां भी Chrome को खरीद सकती हैं, क्योंकि इससे उन्हें अपने यूजर बेस को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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Google का विरोध
गूगल बिक्री का विरोध करता है. गूगल का कहना है कि Chrome को बेचने से इनोवेशन के विकास में बाधा आएगी. गूगल अपने फाइनेंशियल रिपोर्ट्स में क्रोम से होने वाली कमाई को अलग से नहीं दिखाती है. हालांकि, ब्राउजर का यूजर डेटा कंपनी के एडवर्टाइजिंग से होने वाली इनकम में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है.
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डीओजे की सिफारिश जज अमित मेहता के अगस्त के फैसले के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि गूगल ने सर्च मार्केट पर गैर-कानूनी तरीके से एकाधिकार जमा लिया है. जज अप्रैल 2024 में दो हफ्ते की सुनवाई के दौरान सुझाए गए उपायों पर विचार करेंगे और अंतिम फैसला अगस्त 2025 तक आने की उम्मीद है.