नई दिल्ली: मीना कुमारी (Meena Kumari) फिल्म अदाकारा के साथ-साथ अच्छी शायर थीं. उनका बचपन का नाम महजबीं नाज़ था. उनकी पैदाइश 1 अगस्त 1933 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुई थी. उन्होंने अपने वक्त में हिंदी सिनेमा को बहतरीन फिल्में दीं. वह ट्रेजडी क्वीन थीं. उन्होंने 'साहेब बीवी और गुलाम', 'पाकीजा' और 'मेरे अपने' जैसी 92 फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी की. फेल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित मीना कुमारी बेस्ट फीमेल एक्ट्रेस की फेहरिस्त में आती हैं. मीना कुमारी उर्दू की मशहूर शायर थीं. कहा जाता है कि फिल्मों में काम करने के बाद मीना कुमारी अपने आपको लेखन से दूर कर लिया. साल 1971 में मीना कुमारी के शेर का एलबम 'I write, I recite' रिलीज हुआ. इसमें मीना कुमारी ने खुद अपने शेर गाए थे. यह एलबम 19 सितंबर 2006 को दोबारा रिलीज हुआ. मीना कुमारी 31 मार्च 1972 को वफात पा गईं. पढ़ें मीना कुमारी के कुछ चुनिंदा शेर.


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अयादत को आए शिफ़ा हो गई
मिरी रूह तन से जुदा हो गई
मीना कुमारी नाज़


तेरे क़दमों की आहट को ये दिल है ढूँडता हर दम
हर इक आवाज़ पर इक थरथराहट होती जाती है
मीना कुमारी नाज़


जब चाहा इक़रार किया है जब चाहा इंकार किया
देखो हम ने ख़ुद ही से ये कैसा अनोखा प्यार किया
मीना कुमारी नाज़


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अयादत होती जाती है इबादत होती जाती है
मिरे मरने की देखो सब को आदत होती जाती है
मीना कुमारी नाज़


आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
मीना कुमारी नाज़


शम्अ' हूँ फूल हूँ या रेत पे क़दमों का निशाँ
आप को हक़ है मुझे जो भी जी चाहे कह लें
मीना कुमारी ना


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