UP News: यूपी के एक कोर्ट ने आज यानी 3 मार्च को पूर्व सांसद धनंजय सिंह और एक दूसरे को 'नमामि गंगे' परियोजना प्रबंधक अभिनव सिंघल का अपहरण करने, रंगदारी मांगने, गाली देने और धमकी देने का दोषी ठहराया. अतिरिक्त सेशन से जस्टिस शरद कुमार त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम को मामले में दोषी ठहराया. सजा पर फैसला बुधवार को होगा. फिलहाल पूर्व सांसद और उनके सहयोगी दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.


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क्या है पूरा मामला
मामले की जानकारी देते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) सतीश पांडे ने बताया कि मुजफ्फरनगर मकामी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइनबाजार थाने में धनंजय सिंह और उसके साथी विक्रम के खिलाफ अपहरण, रंगदारी, साजिश रचने समेत दूसरे धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. 
 
हाईकोर्ट से मिल गई थी जमानत
इनपर इल्जाम था कि विक्रम ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर सिंघल का अपहरण कर लिया और उन्हें पूर्व सांसद के आवास पर ले गए, जहां धनंजय सिंह पिस्तौल लेकर आए और उनके साथ दुर्व्यवहार किया और कम गुणवत्ता वाली सामग्री देने का दबाव डाला. जब अभिनव सिंघल ने ऐसा करने से इनकार किया, तो उसने धमकी दी और रंगदारी मांगी. वहीं, जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) सतीश पांडे ने कहा, "पूर्व सांसद को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. 


धनंजय सिंह को कहा जाता है 'पूर्वांचल का बाहुबली' 
साल 2009 से 2014 तक 15वीं लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सदस्य के रूप में सांसद रहे धनंजय सिंह को 'पूर्वांचल बाहुबली' के रूप में जाना जाता है. 2011 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था.


साल 2002 में बने थे विधायक
मौजूदा वक्त में जनता दल (यूनाइटेड) के नेता हैं. सिंह ने हाल ही में 'एक्स' पर एक पोस्ट के माध्यम से जौनपुर सीट से आगामी लोकसभा इलेक्शन लड़ने की अपनी योजना का संकेत दिया था. उन्होंने पहली बार 2002 में रारी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था.