Chief Justice of India: भारत के चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ बार काउंसिल ऑफ इंडिया की आयोजित किए गए एक प्रोग्राम में शामिल हुए. इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि ज़मीनी सतह पर जज निशाना बनाए जाने के डर से ज़मानत देने से हिचकते हैं.  इसलिए नहीं कि वो जुर्म की गंभीरता को नहीं समझते. बल्कि इसलिए कि ख़तरनाक मामलों में ज़मानत देने के लिए उन्हें निशाना बनाए जाने का डर रहता है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालतों के जजों की तरफ़ से ज़मानत नहीं दिए जाने की वजह से उच्च अदालतें ज़मानत अर्ज़ियों से भर गई हैं. 


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चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि ज़िला अदालतें देश की न्यायिक प्रणाली के मामलों में उतनी ही ज़रूरी हैं जितना कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट हैं. चीफ जस्टिस ने ज़िला अदालतों पर भरोसा करना सीखने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए आगे कहा कि ये सच में इंसाफ़ की तलाश करने वाले आम शहरियों की ज़रूरतों को पूरा करेगी.


मरकज़ी वज़ीरे क़ानून किरन रिजिजू ने भी फ़िक्र का इज़हार किया
इस प्रोग्राम में केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू भी मौजूद थे. उन्होंने तबादलों को लेकर कई वकीलों के सीजेआई से मिलने पर फ़िक़्र जताई. किरेन रिजिजू ने कहा कि कुछ वकील ट्रांसफर केस के मामले में CJI से मिलना चाहते हैं. ये एक ज़ाती मुद्दा हो सकता है, लेकिन अगर आप अलग से देखें तो यह कई मुद्दों में एक मुद्दा है. लेकिन अगर यह कॉलेजियम की तरफ़ से हर फ़ैसले के लिए एक मिसाल बन जाती है, जिसे सरकार की हिमायत हासिल है, तो ये कहां तक ले जाएगा? पूरा आयाम बदल जाएगा.


अदालतों में पेंडिंग मामले जल्द नतीजों तक पहुंचें - CJI
चीफ जस्टिस गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से उसके वकीलों के मौजूदा प्रदर्शन के मद्देनजर 21 नवंबर को मिलने के लिए तैयार हो गए हैं. ये वकील जस्टिस निखिल एस. कारियल का पटना हाईकोर्ट में तबादला किए जाने की कॉलेजियम की सिफारिश का विरोध कर रहे हैं. बता दें कि CJI अदालतों में पेंडिंग मामलों को जल्द से जल्द नतीजों तक पहुंचाना चाहते हैं. पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित की तरह ही उनकी भी यही कोशिश है कि देश में किसी भी शहरी को इंसाफ़ मिलने में देरी न हो और अदालतों में पेंडिंग केसों का जल्द निपटारा हो.


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