Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने एक रिलीज जारी करके कहा है कि कोर्ट के अधिकारी 'गुरुवायुर मंदिर' में आयोजित होने वाले 'कोडथी विलाक्कू' के प्रोग्राम में हिस्सा न लें. केरल हाई कोर्ट ने 'कोडथी विलक्कू (कोर्ट लैंम्प)' शब्द के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए हैं. कोर्ट का कहना है कि इससे लगता है कि आदातलें इसका आयोजन कर रही हैं. 


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हाई कोर्ट ने कहा कि अदालतों को किसी भी मजहब को बढ़ावा देने वाले प्रोग्रामों में संलिप्त नहीं देखा जा सकता है. अदालतें संविधान के तहत धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक संस्थान हैं. त्रिशूर जीले के जज एके जयशंकर नांबियार के कहने पर यह बयान जारी किया गया है.


ज्ञापन में कहा गया है कि हाई कोर्ट की जानकारी में आया है कि चावक्कड़ मुंसिफ कोर्ट बार असोसिएशन के सदस्यों की एक आयोजन कमेटी गुरुवयुर मंदिर में 'कोडती विलक्कू' नाम का एक प्रोग्राम कर रही है.


अदालत ने क्या कहा?


अदालत के मुताबिक बार असोसिएशन के सदस्य व्यक्तिगत तौर पर इसमें शामिल हो सकते हैं लेकिन 'कोडथी विलक्कू' नाम के आयोजन पर आपत्ति है. क्योंकि इससे यह लगता है कि राज्य की अदालतें किसी न किसी तरह से इन आयोजनों से जुड़ी हुई हैं. 


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अदालत के मुताबिक उन्हें सलाह दी जाती है कि आयोजन समिति का हिस्सा बनने या किसी दूसरे तरीके से रजामंदी देकर उस प्रोग्राम में शामिल न हों. साथ ही किसी भी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए अपने आपको मजबूर महसूस न करें.


आयोजन में क्या होता है?


कोडथी विलाक्कू (कोर्ट लैंप) नाम का प्रोग्राम गुरुवायु मंदिर में देवोत्थानी एकादशी पर आयोजित होना था. इसमें दियों को जलाया जाता है और हाथी जुलूस निकाला जाता है.


अदालत ने क्यों जारी किया निर्देश?


कोर्ट के मुताबिक कई धर्मों के मानने वालों सहित सभी रैंकों के न्यायिक अधिकारी इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए मजबूर महसूस करते हैं. इसमें हाईकोर्ट के जज भी शामिल होते हैं.  यह बताता है कि 'कोडाथी विलाक्कू' शब्द लोगों को भटकाने वाला है. 


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