दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त के पद से हाल में रिटायर हुए भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सुवाशीष चैधरी ने ‘कैपिटल कॉप्सः द अनऑफिशियल गाइड टू दिल्ली पुलिस’ नाम की किताब में दिल्ली पुलिस के कार्यप्रणाली का खुलासा किया है.
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नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस द्वारा 1984 में अपनाई गई नागरिक हितैषी नीति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पुलिस की छवि को पहुंची गंभीर क्षति से उबरने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दिल्ली पुलिस को लेकर लिखी गई एक किताब में यह बात कही गई है. दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (दक्षिणी रेंज) के पद से हाल में रिटायर हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सुवाशीष चौधरी ने ‘कैपिटल कॉप्सः द अनऑफिशियल गाइड टू दिल्ली पुलिस’ नाम से अपनी पहली किताब लिखी है. यह पुस्तक हर-आनंद पब्लिकेशन्स ने प्रकाशित की है.
दिल्ली पुलिस ने नागरिकों को बताया उनका हक
चौधरी ने कहा कि उनकी किताब कई तरह की सूचनाओं से भरी हुई है और इसका मकसद पुलिस बल के बारे में लोगों की जागरुकता बढ़ाना है ताकि नागरिकों और विद्वानों को भी पुलिस पर लिखने से इसकी ताकत और कमजोरियों का उचित अंदाजा हो सके. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस शायद पूरे देश का पहला ऐसा पुलिस बल था जिसने न केवल नागरिकों को उनके अधिकारियों के बारे में बल्कि जिम्मेदारियों के बारे में भी जागरुकता पैदा करने और जन सहयोग हासिल करने की दिशा में कदम उठाया.
‘आपके साथ, आपके लिए सदैव’
चौधरी ने इसमें लिखा है कि 1984 के सिख विरोधी दंगे और ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भी आतंकवादी हिंसा का मुकाबला कर रही दिल्ली पुलिस ने एक नया आदर्श वाक्य ‘आपके साथ, आपके लिए सदैव’ अपनाया और इसके साथ नागरिक हितैषी व्यवहार का दृष्टिकोण तैयार किया.
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