इंदौरः लोकसभा स्पीकर और इंदौर की एमपी रहीं सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) को रह-रहकर अपने सियासी रूप से असक्रिय होने की बात सताती रहती है. इंदौर में उन्हें ताई के नाम से भी जाना जाता है. एक बार फिर सुमित्रा ताई के दिल की दर्द बाहर आया है. 


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ताई ने शनिवार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रंगकर्मियों के बनाए जा रहे कला वीथिका और गांधी हॉल का दौरा किया. जब उनसे नगरीय निगम चुनाव में अपने हिमायतियों के लिए टिकट मांगने पर सवाल हुआ तो वह बोलीं, "अब मैं कौन हूं, मुझे कोई पूछता नहीं है. आज हूं, कल रहूंगी या नहीं पता नहीं."


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उन्होंने शिवराज सरकार में कैबिनेट की तौसी (विस्तार) में इंदौर को मुनासिब कयादत देने की भी मांग की है. ताई ने कहा कि इंदौर को ज्यादा मंत्री मिलते हैं, तो अच्छी बात है, नहीं मिलते हैं तो रोष जाहिर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि महापौर का उम्मीदवार विजन वाला होना चाहिए.


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दरअसल, सुमित्रा महाजन कई बार इस तरह की बात कह चुकी हैं. क्योंकि लोकसभा स्पीकर के ओहदे से हटने के बाद वह सरगरम सियासत से दूर हो गई हैं. भाजपा ने उन्हें कोई दूसरी जिम्मेदारी भी नहीं सौंपी है. अपोज़िशन के लोग भी सुमित्रा ताई के इस बयान को आगामी नगरीय निकाय चुनाव के साथ भी जोड़कर देखने लगे हैं.


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बता दें कि महाजन इंदौर सीट से लगातार आठ बार की एमपी रह चुकी हैं लेकिन उन्हें कभी मरकज़ी कैबिनेट में जगह नहीं मिली. नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में जरूर सुमित्रा ताई के सियासी तजरुबे और वरिष्ठता को इज्ज़त देते हुए उन्हें 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि, 17वीं लोकसभा में उन्हें इंदौर से टिकट नहीं दिया गया. इस तरह सुमित्रा ताई के 4 दहाई के सियासी करियर को एक तरह से विराम लग गया.