President Election 2022: गोपालकृष्ण गांधी ने विपक्षी दलों के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव में ऐसा उम्मीदवार होना चाहिए जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर रजामंदी हो और जिससे विपक्षी एकता सुनिश्चित हो.
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नई दिल्लीः विपक्षी दलों की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की तलाश को एक बार फिर झटका लगा है और विपक्षी दलों को निराशा हाथ लगी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल के साबिक राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों की तरफ से साझा उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया है. उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं के अनुरोध को सोमवार को अस्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव में ऐसा उम्मीदवार होना चाहिए जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर रजामंदी हो और जिससे विपक्षी एकता सुनिश्चित हो.
गौरतलब है कि गोपालकृष्ण गांधी के पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूख अबदुल्ला ने भी विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति का साझा उम्मीदवार बनने से इंकार रि दिया था.
उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो...
एक बयान में गोपालकृष्ण गांधी (77) ने कहा कि विपक्षी दलों के कई नेताओं ने राष्ट्रपति ओहदे के अगले चुनावों में विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए उनके नाम पर विचार किया जो उनके लिए इज्जत की बात है. गांधी ने कहा कि मैं उनका बहुत शुक्रगुजार हूं, लेकिन इस मामले पर गहराई से विचार करने के बाद मैं देखता हूं कि विपक्ष का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो विपक्षी एकता के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति पैदा करे.’’
किसी ऐसे शख्स को मौका देना चाहिए
गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि और भी लोग होंगे जो मुझ से कहीं बेहतर काम कर सकते हैं. इसलिए मैंने नेताओं से गुजारिश की है कि किसी ऐसे शख्स को ये मौका देना चाहिए, जो तमाम पैमाने पर खरा उतरता हो. भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जैसे कि अंतिम गवर्नर जनरल के रूप में राजाजी (सी राजगोपालाचारी) थे और जिस ओहदे की सबसे पहले शोभा डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बढ़ाई थी. पूर्व नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं. गोपालकृष्ण, महात्मा गांधी के परपोते और सी राजगोपालाचारी के परनाती हैं.
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