समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ रही सरकार; संसद से लेकर SC तक बना रही माहौल
Uniform Civil Code: सोमवार को जहां गृहमंत्री अमित शाह ने एक जनसभा में समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात कही, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिसमें एक सभी धर्मों के अलग-अलग कानूनों को हटाकर एक कानून बनाने की मांग की गई है.
नई दिल्लीः देश में सभी धर्मों के अलग-अलग कानूनों के बजाए सभी धर्मों की पुरुषों स्त्रियों के लिए तलाक, गोद लेना, उत्तराधिकार से जुड़े मामलों के लिए एक समान नागरिक संहिता बनाये जाने की याचिकाओं का जमीयत उलेमा ए हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को विरोध किया है. जमीयत की तरफ से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह की मांग पर फैसला लेना संसद का काम है. इस मामले में कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता है. वहीं, सोमवार को ही महाराष्ट्र के एक जनसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने देश में सामान नागरिक सहिंता बनाने की तरफ आगे बढ़ने का संकेत दिया है, जिसके बाद शाह के बयानों का विरोध शुरू हो गया है.
कोर्ट इसमे किस हद तक दखल दे सकता है
सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में सभी याचिकाओं पर रखी गई बातों को लेकर एक संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहा है. चीफ जस्टिस ने कहा- हम देखेंगे कि कोर्ट किस हद तक इस मामले में दखल दे सकता है. हालांकि, फिल्हाल सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी गई है. सरकार की तरफ से पेश वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुरषों/ स्त्रियों के लिए एक समान क़ानून से किसी को दिक्कत नहीं है, लेकिन सवाल ये है कि कोर्ट इसमे किस हद तक दखल दे सकता है ?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में मांग की गई है
सभी धर्मो में तलाक़ दिए जाने के आधार एक समान हो
सभी धर्मों में गोद लेने और भरण पोषण के नियम एक समान हो
सभी धर्मो में विरासत के नियम, पैतृक सम्पति में अधिकार एक समान हो।
सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान हो
सभी धर्मों में तलाक की स्थिति मे गुजारा भत्ता एक समान हो
एआईयूडीएफ ने शाह के बयानों का किया विरोध
एधर, यूनियन सिविल कोड को लेकर अमित शाह के बयान का एआईयूडीएफ ने विरोध किया है. पार्टी के महासचिव रफीकुल इस्लाम ने कहा, "सरकार को पहले देश के सभी मंदिरों का दरवाजा सबके लिए खोलना चाहिए. सबको समान अधिकार देने की बात कहना चाहिए, लेकिन सरकार ये न करके चुनाव जीतने के लिए मुद्दे बना रही है.’’ रफीकुल ने आगे कहा, "सरकार ने तीन तलाक तो बंद किया, कश्मीर से धारा 370 को हटाया, लेकिन देश से क्या अपराध को मिटा पाया है?
कई राज्य कर चुके हैं पहल
जानकारों की माने तो भाजपा 2024 के आम चुनाव में समान नागरिक संहिता को अपना मुद्दा बनाना चाह रही है. हालांकि, समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी एजेंडे का पहले से हिस्सा रहा है. देश के भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड की सरकारें भी इस दिशा में काम कर रही हैं.
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