Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. दरअसल कोर्ट ने इस मामले को सुनने लायक बताया है. किरन सिंह की तरफ से दाखिल याचिका पर कोर्ट ने इससे पहले 15 अक्टूबर को सुनवाई की थी और दोनों पक्षों ने दलीले रखी थीं. इस मामले में 8 नवंबर को आदेश आना था. लेकिन बेंच के अधिकारियों के छुट्टी पर होने की वजह से इसकी तारीख 14 नवंबर कर दी गई थी.


फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला


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यह फैसला वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया है. आपको बता दें मुस्लिम पक्ष ने अर्जी लगाई थी कि हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई ना की जाए. हालांकि वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने साफ कर दिया है कि हिंदू पक्ष की याचिका सुन्ने लायक है. बता दें इस मामले में हिंदू पक्ष ने तीन मांगे की थी.


- मुस्लिमों की एंट्री बैन की जाए
- परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए
- शिवलिंग पर पूजा करने की इजाजत मिले


आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू पक्ष के वकील अनुपम दिवेदी ने बताया है कि अगली तारीख 2 दिसंबर रखी गई है. विश्व वैदिक सनातन संघ के कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सिंह का कहना है कि यह हमारी बहुत बड़ी जीत है. अब सुनवाई में हमारी मांगे मानी जानी की काफी उम्मीद है.


सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है मामला


आपको बता दें ज्ञानवापी को लेकर एक पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई है. यह याचिका प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर दायक की गई है. इस मामले में केंद्र सरकार को 12 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करना होगा. जिसके बाद अगले साल जनवरी में इसकी सुनवाई शुरू की जाएगी.


क्या है प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट


द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 3 के मुताबिक 15 अगस्त 1947 के बाद जो धार्मिक स्थल जैसे हैं उन्हें वैसे ही संरक्षित किया जाए. अगर ये साफ होता है कि मौजूदा धार्मिक स्थल को तारीख (इतिहास) में किसी दूसरे धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाया गया है, तो भी उसको संरक्षित रखा जाएगा.