नई दिल्ली: भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है. हालांकि, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा, ‘‘इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी.'


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डीजीएफटी ने कहा, ‘‘गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है...'उसने यह भी साफ किया कि भारत सरकार की तरफ से दूसरे देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी. एक अलग अधिसूचना में डीजीएफटी ने प्याज के बीज के लिए निर्यात शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की.



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डीजीएफटी ने कहा, 'प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से सीमित श्रेणी के तहत रखा जाता है.' पहले प्याज के बीज का निर्यात प्रतिबंधित था. इस सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ईंधन और खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई. 


रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान के मद्देनजर निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है. रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक रहे हैं. मजबूत वैश्विक मांग के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़कर 70 लाख टन यानी 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. 


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गौरतलब है कि इससे पहले 12 मई को सरकारी अधिकारियों की एक बैठक हुई थी जिसमें गेहूं के निर्यात पर फ़ैसला लिया गया. इस बैठक में बताया गया कि भारत ने वैश्विक रूप से अनाज की बढ़ती मांग के बीच वित्त वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड10 मिलियन टन गेहूं का लक्ष्य निर्धारित किया है.


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