Jharkhand HC On Wife Maintenance: झारखंड हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक ऑर्डर में कहा है कि, अगर कोई पत्नी बगैर किसी वैलिट रीजन के पति से अलग रहती है, तो वह भरण-पोषण की रकम की हकदार नहीं है. जस्टिस सुभाष चंद की बैंच ने रांची की फैमिली कोर्ट के उस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें अमित कुमार कच्छप नामक व्यक्ति को आदेश जारी दिया गया था कि वह अपनी बीवी संगीता टोप्पो के पालन-पोषण के लिए हर महीने 15 हजार रुपए दे. हाईकोर्ट ने कहा, "दोनों पक्षों की तरफ से पेश किए गए सबूतों को देखने पर यह पाया गया कि प्रतिवादी बिना किसी मुनासिब वजह से अपने पति से अलग रह रही है. 


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"ससुराल वालों ने की दहेज की मांग"
इसके नतीजे में, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की दफा 125 (4) के मद्देनजर वह किसी भी रकम के भरण-पोषण की हकदार नहीं है. संगीता टोप्पो ने रांची की फैमिली कोर्ट में अपने शौहर अमित कुमार कच्छप के खिलाफ दायर केस में इल्जाम लगाया था कि, 2014 में ट्राइबल रीति-रिवाजों के मुताबिक, शादी के बाद जब वह ससुराल गई तो उससे कार, फ्रिज और टीवी समेत दहेज का मुतालबा होने लगा. उसने दावा किया कि पति और उसका परिवार दहेज के लिए उस पर दबाव डालता था. पति छोटी-छोटी बातों पर उसकी उपेक्षा करता था, अक्सर शराब के नशे में उसके साथ गलत रवैया इख्तियार करता था. उसने अपने पति पर एक महिला के साथ रिश्ता रखने का इल्जाम भी लगाया. महिला ने अदालत में भरण-पोषण के लिए हर माह 50 हजार रुपए का दावा ठोंका था.



पति ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दायर की
इस पर फैमिली कोर्ट ने उसकी हिमायत में फैसला सुनाते हुए 30 अक्टूबर 2017 से हर माह 15 हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता तय किया था और उसके शौहर को इस रकम को अदा करने को कहा था. फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पति अमित कुमार कच्छप ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दायर की थी. उसका कहना था कि शादी के बाद उसकी बीवी एक हफ्ते के लिए जमशेदपुर में उसके घर रही. इसके बाद वह अपने परिवार वालों की कुछ दिनों तक सेवा करने के नाम पर रांची चली गई. उसने कहा था कि, 15 दिनों के अंदर वापसी कर लेगी, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद भी वह घर नहीं लौटी.