Left Party on UCC: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI (M)) के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने मनमाने ढंग से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कोशिश का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को छोड़कर गैर सांप्रदायिक ताकतों के एक साथ आने का आह्वान किया. पार्टी यूसीसी के खिलाफ अभियान शुरू करेगी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसके लिए जोरदार वकालत करने के बाद UCC सुर्खियों में है. एमवी गोविंदन ने कहा कि "पार्टी कोझिकोड में यूसीसी पर एक राज्य स्तरीय बैठक भी आयोजित करेगी."


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आगे उन्होंने कही कि "उन सभी लोगों को जो गैर-सांप्रदायिक हैं उसे UCC पर बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा. लेकिन कांग्रेस को आमंत्रित नहीं किया जाएगा. इस मामले पर कांग्रेस ने जो रुख अपनाया है. वह अजीब है. राष्ट्रीय से लेकर स्थानीय स्तर तक कांग्रेस के नेताओं के अलग-अलग रुख हैं. राहुल CPI (M) केरल सचिव ने कहा कि गांधी और अन्य लोग स्पष्ट रुख अपनाने में असमर्थ हैं.


जानकारी के लिए बता दें कि सीपीआई (एम) ने मुस्लिम संगठन को भी आमंत्रित किया है. जिसने समान नागरिक संहिता को खारिज करने का अनुरोध किया है. एमवी गोविंदन ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी UCC पर समान रुख रखने वाले किसी भी व्यक्ति से हाथ मिलाएगी. उन्होंने कांग्रेस पर अवसरवादी दृष्टिकोण रखने का आरोप लगाया. 


उन्होंने कहा कहा कि "यूसीसी के कार्यान्वयन की घोषणा करके देश के बहुलवाद को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. आरएसएस और संघ परिवार प्रधानमंत्री के माध्यम से यूसीसी के लिए अभियान चला रहे हैं और कांग्रेस इस संबंध में एक सुसंगत रुख अपनाने में असमर्थ है".


आगे उन्होंने कहा कि "कानून आयोग ने इस पर स्पष्टता बना दी है और अब वे इसे हिंदुत्व एजेंडा, एक सांप्रदायिक एजेंडा लागू करने के लिए लाना चाहते हैं. जब आरएसएस 100 साल का जश्न मनाता है तो वे एक एकीकृत भारत बनाना चाहते हैं. यह उन सभी के लिए समय है जो धर्मनिरपेक्ष चाहते हैं भारत को समान नागरिक संहिता के खिलाफ आगे आना होगा"


"यूसीसी भाजपा का एक प्रमुख मुद्दा है. और इसकी कुछ राज्य सरकारों ने इसके कार्यान्वयन पर जोर दिया है. यूसीसी के पीछे का विचार यह है कि सभी नागरिकों के लिए चाहे उनकी धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो, विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य कानून होना चाहिए.


जानकारी के लिए बता दें कि सीपीआईएम भी व्यापक अभियान चलाएगी और दो महीने से चल रही मणिपुर हिंसा पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी. सीपीआईएम और सीपीआई सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करेगा.


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