Lucknow Muharram: ग़मगीन माहौल में निकला शाही जऱी का जुलूस, अजादारों ने इमाम को पेश किया नम आंखों से पुरसा
Lucknow Muharram: कोरोना के बाद यह पहला मौक़ा था जब इतनी बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हुए थे क्योंकि दो सालों तक लगातार कोरोना के कारण लोग घरों में अज़ादारी करने को मजबूर थे।लेकिन इस बार बिना किसी बंदिश के लोग अज़ादारी करते नज़र आए.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुसैनाबाद ट्रस्ट की जानिब से मोहर्रम की पहली तारीख को पैगंबर मोह्हमद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाडे तक अपने रिवायती अंदाज में शाही मोम की ज़री का जुलूस पूरी शानो-शौकत के साथ ग़मगीन माहौल में निकाला गया लखनऊ में यह मोहर्रम का पहला जुलूस होता है इस मौके ज़िला इंतिज़ामिया ने हिफ़ाज़त के कड़े बंदोबस्त किये थे.
नवाबी अंदाज़ में निकला शाही ज़री का जुलूस
अजादारी का मरकज कहे जाने वाले अदब के शहर लखनऊ में आज भी नवाबी तौर तरीकों के साथ मोहर्रम का आगाज़ होता है. इसी के चलते इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम की पहली तारीख को लखनऊ के बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाडे तक शाही मोम की ज़री का जुलूस बड़ी शान के साथ निकाला गया जिसमें हाथी और ऊंट की सवारी, ढोल बैंड को देखकर मानो यह लग रहा था जैसे नवाबों के वक्त की अजादारी मनाई जा रही हो. दरअस्ल 1839 में मोहम्मद अली शाह बहादुर जोके अवध के तीसरे बादशाह थे. उन्होंने हुसैनाबाद ट्रस्ट कायम किया था. इसी के तहत आज तक लखनऊ में यह शाही जुलूस इमाम हुसैन की याद में निकाला जाता है. पहली मोहर्रम के इस जुलूस में रोशन चौकी ज़ुल्जना सबील झंडियां बैंड होते हैं जो आज भी नवाबों के वक्त की अजादारी को महसूस कराते हैं इसके अलावा पीएसी के बैंड लगातार मातमी धुनों को बजाते है 24 फीट ऊंची मोम की ज़री अपने आप में अलग ही मिसाल पेश करती है और उसके साथ अबरखी ज़री जो 16 फीट की साथ साथ चलती है साथ मे तबर्रुक और पानी का माकूल इंतजाम होता है सबसे पीछे अंजुमन मातम करती चलती है वही बीच में हाथी ऊंट शहनाई और नक्कारखाना के साथ अलम और झंडियां भी जुलूस का हिस्सा होती है.
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अजादारों की आंखें हुईं नम
इस ख़ास मौक़े पर आंखों में कर्बला के शहीदों का गम लिए हजारों अजादारों ने ऐतिहासिक शाही मोम की जरी के जुलूस में शिरकत की और नम आंखों और होठों पर या हुसैन की सदाएं बुलंद करके इमाम हुसैन की शहादत पर इजहार ए गम किया.
हिफाज़त के रहे पुख़्ता इंतिज़ाम
वही इस ख़ास मौक़े पर ज़िला इंतिज़ामिया ने हिफाजत के चाक चौबंद इंटीज़मात किये थे चारों तरफ ड्रोन कैमरों के जरिए से निगरानी की जा रही थी।तमाम आला अफसर मौक़े पर मौजूद रहे।जुलूस की तरफ से होकर जाने वालों रास्तो को भी डाइवर्ट किया गया था ताकि किसी भी तरह की किसी को कोई दिक्कत पेश ना आने पाए.
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