Maharashtra: महाराष्ट्र में बिरयानी की एक दुकान से बहादुर शाह ज़फ़र की तस्वीर हटाने का मामला सामने आया है. राज्य के कोल्हापुर शहर में बिरयानी की एक दुकान में दीवार पर लगी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र की तस्वीर को नौजवानों के एक ग्रुप ने तोड़ दिया. पुलिस ने इस मामले में यह जानकारी साझा की. कोल्हापुर के राजारामपुरी थाने के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना के संबंध में किसी के ख़िलाफ़ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. पुलिस अधिकारी ने कहा कि "दक्षिणपंथी संगठन से ताल्लुक़ रखने वाले कुछ नौजावान बिरयानी की दुकान पर गए, जहां उन्होंने बहादुर शाह जफ़र की तस्वीर देखी".


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नौजवानों ने की मुख़ालेफ़त
पुलिस ने बताया कि नौजवानों ने इसकी मुख़ालेफत करते हुए कहा कि "दीवार पर 'औरंगज़ेब के वंशज' की तस्वीर क्यों टांगी गई है. युवकों ने भोजनालय के मुलाज़मीन से इसे हटाने को कहा. भोजनालय के कर्मचारी उस वक़्त तो मान गए लेकिन तस्वीर नहीं हटाई गई. फिर दोबारा जब उस ग्रुप ने भोजनालय का दौरा किया तो तस्वीर को नीचे उतारा और उसे तोड़ दिया". पुलिस ने बताया कि नौजावनों ने आख़िरी मुग़ल बादशाह को औरंगज़ेब का वंशज क़रार दिया. फिलहाल इस मामले में अभी किसी के ख़िलाफ़ केस दर्ज नहीं किया गया है.


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आख़िरी मुग़ल बादशाह थे बहादुर शाह ज़फ़र 
बहादुर शाह ज़फ़र 20वें और आख़िरी मुग़ल बादशाह और उर्दू के मशहूर शायर भी थे. उन्होंने 1857 के पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों की अगुवाई की थी. भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने की बहादुर शाह ज़फर को भारी क़ीमत चुकानी पड़ी. उनके पुत्रों और प्रपौत्रों को ब्रिटिश हुकूमत ने सरेआम गोलियों से भून डाला. सन 1862 में 87 साल की उम्र में बर्मा (वर्तमान म्यांमा) के रंगून में उनकी मौत हो गई थी. आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र ने 1837 से 1857 तक शासन किया. 1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें देशनिकाला दे दिया था और बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया था, जहां तक़रीब 5 साल बाद उनकी मौत हो गई थी. 


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