Payam Fatehpuri Shayari: पयाम फतेहपुरी उर्दू के मशहूर शायर हैं. उनका असली नाम मोहम्मद इस्लाम है. वह 5 जनवरी 1923 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में पैदा हुए. उनकी मशहूर किताबों में 'आबरू बाद', 'दयार-ए-सबा' और 'शफक जार' शामिल हैं. उनकी सबसे अच्छी गजलों में 'कहां से आ गया, कहां ये शाम भी कहां हुई' और 'याद ऐसा कोई आया है कि जी जानता है' शामिल है.


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दिल को फिर ए'तिबार सा है कुछ 
फिर तिरा इंतिज़ार सा है कुछ 


ज़िंदगी तेरी अदाओं का परस्तार हूँ मैं 
कोई क़ीमत हो मगर तेरा ख़रीदार हूँ मैं 


सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की 
जो नींद आई तिरे ग़म की छाँव में आई 


होश में आएँ तो क्या होश में आए न बने 
बे-ख़ुदी अपनी वो पर्दा कि उठाए न बने 


चाँदनी में तो कभी छाँव में तारों की कभी 
रात हँस हँस के बुलाती है तो पी लेता हूँ 


फ़क़ीर हूँ मैं मिरा काम है सदा देना 
मिरा शिआ'र है क़ातिल को भी दुआ देना 


जंग पर और न अदावत पे यक़ीं रखता हूँ 
मैं हूँ इंसान मोहब्बत पे यक़ीं रखता हूँ 


नफ़स नफ़स पे यहाँ रहमतों की बारिश है 
है बद-नसीब जिसे ज़िंदगी न रास आई 


याद ऐसा कोई आया है कि जी जानता है 
इस क़दर दिल को दुखाया है कि जी जानता है 


कहाँ से आ गया कहाँ ये शाम भी कहाँ हुई 
न हम-नफ़स न हम-ज़बाँ ये शाम भी कहाँ हुई 


गिर पड़ा हूँ तो क़रीब आ के उठा लो मुझ को 
मैं बहर-हाल हूँ इंसान सँभालो मुझ को 


बहुत नाकाम हूँ फिर भी ये दुनिया है ख़फ़ा मुझ से
मिरे हाथों में उस का हाथ आ जाता तो क्या होता