Poetry of the Day: साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे. सचिनदेव बर्मन के अलावा एन. दत्ता, शंकर जयकिशन, खय्याम जैसे संगीतकारों ने उनके गीतों की धुनें बनाई हैं.
Trending Photos
Poetry of the Day: साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) उर्दू जबान के मशहूर शायर और बॉलीवुड के बड़े लिरिसिस्ट थे. उनकी पैदाईश 8 मार्च 1921 को लुधियाना में हुई. साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हयी साहिर (Abdul Hayee) है. साहिर की तालीम लुधियाना के खा़लसा हाई स्कूल में हुई. साल 1939 में जब वे सरकारी कालेज के विद्यार्थी थे अमृता प्रीतम से उनका प्रेम हुआ. बताया जाता है कि अमृ्ता की शादी साहिर से इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि साहिर एक तो मुसलमान थे दूसरे वह गरीब भी थे. कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने लिखना शुरु किया. सन् 1943 में साहिर लाहौर आ गये. यहां उनकी किताब तल्खियाँ छपी. साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे. सचिनदेव बर्मन के अलावा एन. दत्ता, शंकर जयकिशन, खय्याम जैसे संगीतकारों ने उनके गीतों की धुनें बनाई हैं. 59 साल की उम्र में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का इंतेकाल हो गया.
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
---
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
---
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
---
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
---
Poetry of the Day: 'आज फिर आप की कमी सी है' पढ़ें गुलज़ार के चुनिंदा शेर
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
---
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
---
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
---
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
---
गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से
पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम
---
तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है
---
Video: