नई दिल्लीः देश के संत समाज ने बहुसंख्यक हिंदुओं की भावना का सम्मान करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ की है. इसके साथ ही संत समाज ने सरकार से अल्पसंख्यक मंत्रालय, वक्फ बोर्ड और फिल्म सेंसर बोर्ड को भंग करने की भी मांग की है. विश्व हिंदू परिषद, अखाड़ा परिषद, हिंदू धर्माचार्यों और हिंदू धर्म की 127 से भी ज्यादा संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया है. संत समाज ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन के महाकाल मंदिर के कॉरिडोर और जम्मू कश्मीर से 370 और 35 ए को हटाकर हिंदू हितों की रक्षा करने के लिए केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा किया है. 

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काशी और मथुरा के मामले में बहुत कुछ करने की जरूरत
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नवल किशोर दास ने कहा, ’’संत समाज की बात मानकर मोदी सरकार ने हिंदुओं की भावना का सम्मान रखा है. हालांकि, अभी भी सरकार को समान नागरिक संहिता, विवाह का एक समान कानून, अल्पसंख्यक मंत्रालय, वक्फ बोर्ड, फिल्म सेंसर बोर्ड, काशी और मथुरा के मामले में बहुत कुछ करने की जरूरत है.’’ 

वक्फ बोर्ड को हमेशा के लिए भंग कर दें
महंत नवल किशोर दास ने वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग करते हुए कहा, ’’रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद इस देश में सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है, जिनका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है. इसलिए संत समाज की सरकार से यह अपील है कि भारत सरकार अध्यादेश लाकर लीज पर दी गई जमीनों को वक्फ बोर्ड से वापस ले और इसके साथ ही वक्फ बोर्ड को हमेशा के लिए भंग कर दें. 

अल्पसंख्यक मंत्रालय की क्या जरूरत है? 
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने अल्पसंख्यक मंत्रालय को खत्म करने की मांग करते हुए कहा, ’’सुप्रीम कोर्ट लगातार भारत सरकार से यह पूछ रहा है कि इस देश में अल्पसंख्यक कौन है, भारत सरकार इसकी परिभाषा बताए ? भारत सरकार लगातार राज्यों को पत्र लिख रही है कि अल्पसंख्यक तय करके बताइए. इसलिए हमारा मानना है कि जहां अभी तक यह ही तय नहीं है कि अल्पसंख्यक कौन है तो वहां अल्पसंख्यक मंत्रालय की क्या जरूरत है? 

सनातनी सेंसर बोर्ड के गठन की मांग  
हनुमानगढ़ी, अयोध्या के महंत जगदीश दास ने कहा, ’’हिंदू विरोधी फिल्मे बन रही है. फिल्म सेंसर बोर्ड लगातार इस तरह की फिल्मों को पास भी कर रहा है. अगर सेंसर बोर्ड इस तरह के दृश्यों पर रोक नहीं लगा पा रहा है, तो फिर सेंसर बोर्ड की जरूरत ही क्या है ? उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड को भंग कर देना चाहिए. सेंसर बोर्ड की भूमिका पर ऐतराज जताते हुए महंत नवल किशोर दास ने भी कहा कि मौजूदा सेंसर बोर्ड को खत्म कर एक सनातनी और भारतीय सेंसर बोर्ड का गठन करना चाहिए, जिसमें संस्कारवान लोगों को रखा जाना चाहिए.


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