Shab-E-Qadr 2023: शब-ए-कद्र की रात इस्लाम में एक अलग ही अहमियत रखती है. ऐसा बोला जाता है कि रात तो दिल से मांगी हर जायज मुराद पूरी होती है.
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Shab-E-Qadr 2023: शब-ए-कद्र की रात इस्लामिक कैलेंडर की पाक रातों में शुमार होती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हर जायज़ दुआएं कुबूल की जाती हैं. इंग्लिश में शब-ए-कदर का मतलबल तकदीर, ताकत और मूल्यों से जुड़ा है. कई लोगों के मन में सवाल होगा कि शब-ए-कदर कब मनाई जाती है. तो आपको जानकारी के लिए बता दें शब-ए-कदर इस्लामिल कैलेंडर की नौवे महीने यानी रमजान की आखिरी 5 रातों में मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इन पांच रातों का सवाब हजारों महीनों के सवाब से कहीं ज्यादा होता है. इस दिन मुस्लिम रात भर जागते हैं और खुदा की इबादत करते हैं.
लोगों के मन में सवाल है कि आखिर शब-ए-कद्र के दिन कौनसी दुआ पढ़ी जाती है. इस दिन मजहबी रहनुमा "अल्लाहुम्मा इंनका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फ’अफु अन्नी." ये दुआ पढ़ने के लिए कहते हैं. इस दुआ का मतलब है कि अल्लाह तू माफ करने वाला है, तू माफ करना पसंद करता है और बस तू मुझे माफ कर दे.
शब-ए-कद्र दिस वक्त होगी इसको खुदा ने पूरी तरह से साफ नहीं किया है. इसलिए रमजान की पांच रातों को खुदा की इबादत की जाती है. शब-ए-कद्र की तारीख फिक्स ना होने के पीछे इस्लाम में एक किस्सा है, हजरत बिन अब्बास बताते हैं कि एक बार अमीर अल मुमीनिन हजरत उमर के पास आए. इस दौरान उनके साथी भी मौजूद वहां. इस दौरान उन्होंने हजरक अब्दुल्लाह बिन अब्बास से पछा कि तुम्हारा शब-ए-कद्र की रातों के बारे में क्या ख्याल है और वह कौनसी रात हो सकती है.
इस दौरान उन्होंने 21 किसी ने 23, 25, 27, 29वीं शब की रातों का नाम लिया. अब्दुल्लाह बिन अब्बास शात रहे. हजरत उमर ने फरमाया कि आप क्यों नहीं बोलते. इस पर उन्होंने फरमाया कि आप ने ही तो कहा था कि जब ये बोले तो आप ना बोलना.
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास ने कहा कि मैंने सुना है कि अल्लाह ताला ने 7 चीजों का जिक्र फरमाया है. मसलन सात आसमान बनाए हैं, 7 जमीनें बनाई हैं. इंसान की तख्लीक भी सात दर्जे की है, इंसान की गिजा के लिए भी सात चीजें फरमाई हैं. इसलिए शब-ए-कद्र 27वीं शब होगी. इसके बाद हजरत उमर ने अपने साथियों से फरमाया तुमसे वो बात ना हो सकी जो इस बच्चे ने कह दी. जिसके सिर पर बाल भी पूरी तरह से नहीं आए हैं. बाखुदा मेरा भी यही ख्याल है जो यह कहता है.