विवादास्पद कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि समिति पांच माह पहले अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप चुकी है और यह कानून किसानों के हित में है.
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नई दिल्ली/ पुणेः राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर लंबे वक्त से जारी किसान प्रदर्शनों के जल्द समाधान की उम्मीद जताते हुए, विवादास्पद कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट “शत प्रतिशत” किसानों की हिमायत में है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए. समिति के सदस्य ने माना कि सरकार और उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट जारी होने के साथ पैदा होने वाली कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति पर विचार करना होगा जिसके लिए उन्हें समय लेने की जरूरत है, लेकिन वे इसे दरकिनार नहीं कर सकते हैं और उन्हें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
खामियों का समाधान जरूरी
समिति के सदस्य, शेटकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने एक सितंबर को प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनसे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया था. उन्होंने यह भी कहा कि समिति तीनों कानूनों को निरस्त किए जाने का समर्थन नहीं करती है जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान मांग उठा रहे हैं, लेकिन वह और उनका संगठन निश्चित तौर पर मानता है कि कानूनों में “कई खामियां” हैं जिनका समाधान करने की जरूरत है.
अदालत सार्वजनिक करेे रिपोर्ट
घनवत ने कहा कि इसलिए बहुत आवश्यक है कि शीर्ष अदालत किसानों के सभी संदेह दूर करने के लिए रिपोर्ट को जल्द सार्वजनिक करे. अगर वे कल ऐसा करते हैं, तो अच्छा रहेगा....लोगों को जब रिपोर्ट की सामग्री का पता चलेगा तो वे निर्णय कर पाएंगे कि नए कृषि कानून किसानों के पक्ष में हैं या नहीं. घनवत ने कहा कि अदालत में रिपोर्ट जमा किए हुए पांच महीने से ज्यादा का वक्त गुजार चुका है और यह समझ से परे है कि अदालत ने रिपोर्ट पर संज्ञान क्यों नहीं लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी 2021 को समिति का गठन किया था
सीजेआई को लिखे अपने पत्र में घनवत ने कहा था कि रिपोर्ट में किसानों के सभी संदेहों को दूर किया गया है. समिति को विश्वास है कि अनुशंसाएं जारी किसान आंदोलन को सुलझाने का रास्ता निकालेंगी. तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 12 जनवरी 2021 को एक समिति का गठन किया था, जिसमें घनवत को कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सदस्य के रूप में नामित किया गया था.
वापस नहीं लिए जाएंगे नए कृषि कानून: भाजपा सांसद
वहीं दूसरी जानिब, नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसानों के व्यापक आंदोलन के बीच भाजपा सांसद और पार्टी किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह मस्त ने कहा है कि सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेगी. बलिया से सांसद मस्त ने कहा है कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी और इन कानूनों को वापस लेने के लिए बनाया गया है. उन्होंने सवाल किया है कि संसद में बना कानून अगर सड़क पर आंदोलन करके वापस हो जाएगा तो संसद की क्या प्रतिष्ठा रह जाएगी? हालांकि भाजपा सांसद ने यह भी कहा कि सरकार किसानों और कृषि के हित में किसी भी तरह के सुझाव का स्वागत करेगी, वह स्वयं किसान हैं तथा किसानों और कृषि के हित में पहल करने के लिए तैयार हैं.
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