झारखंड में वज्रपात का कहर, 50 दिनों में 32 लोगों की मौत, पिछले 12 सालों में इतने लोगों ने गंवाई जान
Jhrakhand Weather: बारिश के साथ ही आसमानी बिजलियां झारखंड के लिए आपदा बन गया है. IMD ने थंडरिंग और लाइटनिंग के खतरों को लेकर देश के जिन 6 राज्यों को सबसे संवेदनशील के तौर पर मार्क्ड किया है उन छह राज्यों में झारखंड भी शामिल हैं.
Jhrakhand Weather: झारखंड में मानसून की एंट्री हो गई है. प्रदेश के कई इलाको में हल्की और छिटपुट बारिश शुरू हो गई है, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि आसमान से मौत की बिजलियां गिरने का भी सिलसिला शुरू हो गया. प्रदेश के अलग-अलग जिलो में इस हफ्ते वज्रपात की चपेट में आने से 10 लोगों मौत हो गई, जबकि घायलों की भी तादाद में एक दर्जन से ज्यादा है. वहीं, पिछले 50 दिनों में राज्य में आसमानी बिजली ने 32 लोगों की जान ली है.
इस हफ्ते इन लोगों ने गंवाई जान
इस हफ्ते वज्रपात की अलग-अलग हादसों में पलामू जिले की तरहसी प्रखंड में 17 साल के राकेश सिंह, रांची के बुढ़मू ब्लॉक में 25 साल की गीता देवी और इसी ब्लॉक के अकतन गांव के रहने वाले 68 साल के बाबूलाल, मुरगी सागगढ़ा गांव की मीनू देवी, रांची के चान्हो ब्लॉक में 17 साल के प्रेम कुजूर, लोहरदगा के किस्को प्रखंड में 10 साल आर्यन महली, कुड़ू ब्लॉक के जिंगी में 20 साल की सुहाना परवीन, गुमला जिले के जारी ब्लॉक में 32 साल की मोनिका तिर्की, सिसई प्रखंड के चापाटोली में 11 साल की मनीषा तिर्की और सदर थाना इलाके में 23 साल के दीपक गोप की मौत हो गई.
आसमानी बिजली झारखंड के लिए बना आपदा
दरअसल, बारिश के साथ ही आसमानी बिजलियां झारखंड के लिए आपदा बन गया है. IMD ने थंडरिंग और लाइटनिंग के खतरों को लेकर देश के जिन 6 राज्यों को सबसे संवेदनशील के तौर पर मार्क्ड किया है उन छह राज्यों में झारखंड भी शामिल हैं.
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, "झारखंड में हर साल करीब साढ़े चार लाख वज्रपात की घटनाएं होती हैं. साल 2021-22 में झारखंड में वज्रपात की 4 लाख 39 हजार 828 घटनाएं मौसम विभाग ने दर्ज किया था." इसके पहले 2020-21 में राज्य में तकरीबन साढ़े चार लाख बार वज्रपात हुआ था, जिसमें 322 मौतें रिकॉर्ड की गई थीं.
ग्रामीणों क्षेत्रों में ज्यादा घटनाएं
क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन मौतों में से 96 फीसदी ग्रामीण इलाकों से थीं और पीड़ितों में से 77 फीसदी किसान थे. दरअसल, "किसान पहाड़ी-पठारी इलाकों में पेड़ों से घिरे और खुले खेतों में काम करते हैं और उन तक वज्रपात के खतरे से अलर्ट की खबरें नहीं पहुंच पातीं. हालांकि, IMD इसको लेकर नियमित तौर पर अलर्ट जारी करता है, लेकिन जागरूकता की कमी बड़ी बाधा है."
आसमानी बिजली ( वज्रपात ) को झारखंड सरकार ने स्पेसिफिक डिजास्टर (विशिष्ट आपदा) घोषित कर रखा है. स्टेट गवर्नमेंट के डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने 2019 में SMS सिस्टम के माध्यम से लोगों को सचेत करने की व्यवस्था की थी, लेकिन यह सिस्टम ज्यादा कारगर नहीं है. नेटवर्क का सही लोकेशन नहीं होने और लोगों के द्वारा अपने स्मार्टफोन में लोकेशन सक्रिय नहीं करने की वजह से SMS पहुंचने में दिक्कत हो रही है. वज्रपात की सबसे ज्यादा घटनाएं साल के मई-जून महीन में होती हैं.
12 सालों में 2300 से भी ज्यादा मौतें
पिछले 12 सालों में यहां वज्रपात की घटनाओं में 2300 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं. साल 2011 से लेकर अब तक किसी भी साल वज्रपात से होने वाली मौतों की तादाद 150 से कम नहीं रही. 2017 में तो वज्रपात से मौतों का आंकड़ा 300 रिकॉर्ड किया गया था.