Muslim Freedom Fighter: टीपू सुल्तान ऐसे राजा थे, जिसने अपने शासनकाल में तरह-तरह के प्रयोग किए हैं. चाहे बात प्रशासनिक बदलाव की करें या युद्ध क्षमता में बेहतरीन इजाफा करने की. टीपू सुलतान ने हर क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव किए हैं. इन्हीं प्रयोग और बदलावों के बीच टीपू सुल्तान और उनके पिता ने मिसाइल रॉकेट का आविष्कार कर दिया. 


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मिसाइल रॉकेट का आविष्कार टीपू सुल्तान के पिता के आदेश से हुआ था. 50 से ज्यादा रॉकेटमैन टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली के पास थे. वह ऐसे रॉकेट चलाते थे कि दुश्मनों का भारी नुकसान होता था. ये रॉकेटमैन का काम युद्ध के दौरान रॉकेट चलाने का था. ये रॉकेट चलाने में एक्सपर्ट होते थे. समय-समय पर रॉकेट में बदलाव कर टीपू सुलतान ने मिसाइल रॉकेट की क्षमता में काफी इजाफा किया था. टीपू सुलतान के समय में मिसाइल रॉकेट का सबसे ज्यादा इस्तमाल किया गया. उन्हें मिसाइल रॉकेट की उपयोगिता के बारे में पता था. उन्होंने मिसाइल रॉकेट का सही इस्तेमाल 18वीं शताब्दी में किया, जो अंग्रेजों का सबसे बड़ा डर था.


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टीपू सुल्तान ने मिसाइल रॉकेट में कई बदलाव किए हैं. मिसाइल रॉकेट पहले बांस के बने होते थे, जिसमें जलने का ज्यादा डर होता था और उसमें बारूद भी 250 ग्राम इस्तमाल होता था, यह मिसाइल रॉकेट करीब दो सौ मिटर की दुरी तय करती थी. लेकिन बाद में टीपू सुलतान ने बांस की जगह लोहे के मिसाइल रॉकेट बनवाएं. जिसमें ज्यादा बारूद भी लगता था और लोहे वाला मिसाइल रॉकेट ज्यादा बड़े इलाके को नुकसान भी पहुंचाता था. इस मिसाइल रॉकेट का नाम टीपू सुलतान ने 'तकरनुकसाक' रखा था. मॉडर्न रॉकेटरी के जनक कहे जाने वाले रोबर्ट गोडार्ड ने भी टीपू सुल्तान को रॉकेट का जनक माना है.


हालांकि टीपू सुलतान की मौत के बाद बहुत सी मिसाइलों को अंग्रेज इंग्लैंड लेकर चले गए. जिनका अंग्रेजों ने अपने युद्ध में बखुबी इस्तेमाल किया.


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