नई दिल्ली:  हर कोई जानता है कि बहुत ज्यादा नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन काली मिर्च के संभावित प्रभावों पर चर्चा न के बराबर होती है. भारतीय संदर्भ में देखें तो काली मिर्च पारंपरिक भारतीय (आयुर्वेदिक) दवा का हिस्सा रही है. आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मानना है कि इसमें ‘कार्मिनेटिव’ (वातहर) गुण होते हैं - यानी यह उदर वायु की शिकायत से राहत देती है. पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति में काली मिर्च का उपयोग मिर्गी के इलाज के लिए किया जाता है.

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काली मिर्च में होती है एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा 
आधुनिक विज्ञान से पता चलता है कि काली मिर्च, मुख्य रूप से पिपेरिन नामक एक अल्कलॉइड के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य पर बेहद सकारात्मक असर डालती है. पिपेरिन वह रसायन है, जिसके कारण काली मिर्च स्वाद में तीखी और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होती है.

अस्वास्थ्यकर आहार के नुकसान की करता है भरपाई 
एक अस्वास्थ्यकर आहार, बहुत अधिक धूप में रहना, शराब और धूम्रपान आपके शरीर में मुक्त कणों की संख्या को बढ़ा सकते हैं. इन अस्थिर अणुओं की अधिकता कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे लोगों को तेजी से बुढ़ापा आ सकता है और हृदय रोग, कैंसर, गठिया, अस्थमा एवं मधुमेह सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन काली नमक इन सारे नुकसानों की भरपाई कर देती है. 

एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण से होता है भरपूर 
पिपेरिन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं. पुरानी सूजन कई प्रकार की बीमारियों से जुड़ी होती है, जिसमें स्व-प्रतिरक्षित रोग शामिल हैं, यथा- संधिवात गठिया. पिपेरिन से सूजन और दर्द को आराम मिलता है. काली मिर्च करक्यूमिन के अवशोषण में भी सुधार कर सकती है, जो लोकप्रिय एंटी-इन्फ्लेमेटरी मसाला हल्दी का सक्रिय घटक है.


कैंसर सेल्स से लड़ने में करता है मदद 
काली मिर्च में कैंसर से लड़ने वाले गुण भी हो सकते हैं. अध्ययनों में पाया गया कि पिपेरिन ने स्तन, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर कोशिकाओं में वृद्धि को कम कर दिया और कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करने में सहायक भूमिका निभाई. अनुसंधानकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के मसालों से 55 यौगिकों की तुलना की और पाया कि सबसे खतरनाक स्तन कैंसर के एक विशिष्ट उपचार को प्रभावी बनाने में पिपेरिन सबसे कारगर रहा.


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