Hajj Ek Farz: Tawaf is done only in Haram Mosques क्या आप जानते हैं कि तवाफ़े ज़ियारत हो या कोई दूसरा तवाफ़, तवाफ़ सिर्फ़ मस्जिदे हराम में बेतुल्लाह के गिर्द किया जा सकता है. बता दें रि मस्जिदे हराम से बाहर किया हुआ तवाफ़ शरअन ग़ैर मोअतबर है. मस्जिदे हराम में जितनी वुसअत होती जाएगी, तवाफ़ की जगह वसी होती जाएगी. इसलिए किसी ज़माने में तवाफ़ की जगह थोड़ी थी और अब ख़ासी वसी है. तवाफ़ में ये भी आसानी है कि तवाफ़ मस्जिद की निचली मंज़िल में भी हो सकता है. तवाफ़े ज़ियारत में दिल की नीयत के साथ तवाफ़े ज़ियारत करना चाहिए कि मैं ये फ़रीज़ा अदा कर रहा हूं. लेकिन अगर किसी शख्स ने तवाफ़े ज़ियारत के वक़्त में यानि 10 ज़िलहिज्जा की सुबह सादिक़ से लेकर 12 ज़िलहिज्जा के ग़ुरूबे आफ़ताब तक के वक़्त में तवाफ़ किया और सिर्फ तवाफ़ की नीयत नहीं की तो भी उसका ये फ़रीज़ा अदा हो जाएगा. आम तौर पर हज या उमरा का तवाफ़ एहराम की चादरों के साथ और एहराम होने की हालत में किया जाता है.