Hajj Ek Farz: Where and how is Kiswah prepared? स्याह रंग और क़ुरानी आयात से सजे हुए ख़ाना काबा के ग़िलाफ़ किस्वा को माज़ी में मिस्र से तोहफ़े के तौर पर भिजवाया जाता था. इस दौर में जमाल अब्दुल नासिर हाकिम थे.लेकिन सन 1962 में जब ग़िलाफ़े काबा बंदरगाह पर पहुंचा तो काफ़ी देर हो गई थी. इस मौक़े पर सऊदी अरब में सन 1962 में शाह सऊद ने शाह फ़ैसल को ग़िलाफ़ के लिए कारख़ाना लगाने का हुक्म दिया था. शाह अब्दुल अज़ीज़ के दौर में इस ग़िलाफ़ की तैयारी के लिए अलग से एक महकमा क़ायम किया गया और इस काम के लिए एक कारख़ाना भी लगाया गया. इस कारख़ाने में ग़िलाफ़े काबा की तैयारी के दौरान इस्तेमाल होने वाले पानी तक को पाक किया जाता है और ग़िलाफ़े काबा में इस्तेमाल होने वाले रेशम को इस पाक पानी से धोया जाता है.
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