Kartikey ne banaye teen learning apps: आज के इस आधुनिक दौर में, जहां काफी बच्चे अपने मोबाइल पर गेम खेलकर अपना वक्त बरबाद कर देते हैं, वहीं कई ऐसे भी होनहार बच्चे हैं, जो डिजिटल प्लेटफार्म पर अपना जलवा बिखेर रहे हैं. इसे ऊपर वाले का तोहफ़ा कहें या वरदान कहें या फिर जीवन में आगे बढ़ऩे की ललक कि हरियाणा के झज्जर के गांव झासवा के 12 साल के मासूम कार्तिकेय ने मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय ग्राफिक्स और कोडिंग सीखकर तीन लर्निंग ऐप बना डाले. कार्तिकेय झज्जर के जवाहर नवोदय विद्यालय की 8वीं क्लास का छात्र है और 8वीं की पढ़ाई के साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कम्पयूटर साइंस से बीएससी की ऑनलाइन पढ़ाई भी कर रहा है. कार्तिकेय के बनाए गए तीसरे ऐप की लॉन्चिंग 13 जुलाई को की गई है. 12 साल का मासूम कार्तिकेय कहता है कि उसके बनाए गए लर्निंग ऐप उन ग़रीब बच्चों के लिए मुफ़्त हैं, जो आर्थिक कमजोरी की वजह से न तो अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं और न ही कोई कोचिंग ले सकते हैं. ग्रामीण माहौल में जन्में कार्तिकेय अपनी इस उपलब्धि पर काफी खुश है. उनका सपना है कि इस डिजिटल दौर में इस तरह के ऐप बनाकर वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के ख़्वाब को मुकम्मल कर सके. कार्तिकेय ने बताया कि उनका पहला ऐप कोडिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग सिखाने के लिए बनाया गया है, जबकि उन्होने दूसरा ऐप लुसेंट जीके हिंदी ऑफलाइन ऐप बनाया है. यह जीके के लिए है. ख़ास बात ये है कि कार्तिकेय के हुनर को देखते हुए ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इतनी कम उम्र में कार्तिकेय को बीएससी कम्पयूटर साइंस का एक साल का कोर्स करा रही है. कार्तिकेय वहां से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है. और सबसे बड़ी बात ये है कि कार्तिकेय की इस उपलब्धि पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उसे इंडियाज़ यंगेस्ट ऐप डेवलपर का अवार्ड दिया है.