Who Invent Airbags: आज कल जितनी भी गाड़ियां बनाई जा रही हैं उनमें सबसे ज्यादा अगर किसी फीचर पर जोर दिया जाता है वह है एयरबैग्स ( Airbags) एयरबैग्स किसी भी सड़क हादसे में कार में बैठे लोगों की हिफाजत करता है. इसलिए लोग कार खऱीदते वक्त भले ही बाकि चीजों से समझौता कर ले लेकिन एयरबैग्स में किसी तरह की कोई कमी बर्दास्त नहीं करते, और बात भी सही है अपनी जान तो सबको प्यारी होती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस एयरबैग्स का आइडिया कहां से आया और यह कब कारों के लिए सबसे जरूरी फीचर बन गया. एयरबैग्स को हम सब से Introduce कराने में अमेरिका के जॉन हेट्रिक (John Hetrick) और जर्मनी के वाल्टर लिंडरर (Walter Linderer) का बहुत बड़ा योगदान है. दोनों ने तकरीबन एक ही समय में एयरबैग्स को डिजाइन किया साल था. 1953 जब इन दोनों को दो अलग अलग कार कंपनियों ने अपने कार्स में एयरबैग्स इंस्टाल करने की बात की जहां एक तरफ लिंडरर का डिजाइन मर्सिडीज ने य़ूज किया तो वहीं हेट्रिक के एयरबैग्स को कार कंपनियां फोर्ड ने अपनाया. जब भी कोई कार किसी चीज से टक्कराती है तो उसकी स्पीड अचानक से काफी कम हो जाती है. जिससे कार में लगे Accelerometer इस स्पीड को डिटेक्ट करता है और एयरबैग के सर्किट में लगे सेंसर को एक्टिवेट कर देता है एयरबैग सर्किट सेंसर एक्टिवेट होते ही एक हीटिंग एलीमेंट के जरिए इलेक्ट्रिक करेंट देता है. इससे एयरबैग के अंदर केमिकल विस्फोट होता है. विस्फोट होते ही एयरबैग के अंदर अचानक गैस बनने लगती है, जिससे नाइलॉन का बना बैग तुरंत फूल जाता है. यह बैग ड्राइवर और कार सवारों को बॉडी या किसी सख्त चीज से टकराने से बचाता है. यहां आपको बता दें कि कार में लगे एयरबैग्स तभी अच्छे से काम करते हैं जब आप कार की सीटबेल्ट ऑन रखते हैं. जब शुरुआत में कार में एयरबैग को इंस्टाल किया जाता था तो उसमें सोडियम एजाइड यानि NaN3 केमिकल का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन वह एयरबैग को खोलने में थोड़ी सी देरी लगाते थे और उससे कार में सवार लोगों की सेहत पर भी असर पड़ता था जिसको देखते हुए कमिकल को बदला गया और फिर नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाने लगा....