Maulana Abdul Qayyum Qadri: इस्लाम के मुताबिक, मुसलमानों के लिए अपनी पूरी जिंदगी में कम से कम एक बार हज यात्रा करना जरूरी है. इसलिए हर साल लाखों की तादाद में लोग हज करने के लिए सऊदी अरब के लिए रवाना होते हैं और अपनी मुराद पूरी करते हैं. वही इस बार पुंछ ज़िले के दूर दराज़ के पहाड़ी गांव हाड़ी बुडा के रहने वाले मौलाना अब्दुल क़य्यूम क़ादरी हज के लिए पुंछ से पैदल यात्रा शरू की है, यह एक बड़ी बात है. इससे पहले पुंछ ज़िले से इस तरह कोई भी हज के पाक सफ़र के लिए पैदल नहीं गया है. मौलाना अब्दुल क़य्यूम क़ादरी को सफ़र के लिए रवाना करने के लिए हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए. वही ज़ी मीडिया से बात करते हुए मौलाना अब्दुल क़य्यूम क़ादरी का कहना है कि मेरे बचपन का सपना आज पूरा हो रहा है लेकिन एक दुख है की मुझे पैदल सफ़र के लिए सिर्फ दिल्ली तक ही परमिशन मिली है और मेरा यह पैदल सफ़र तक़रीबन 850 किलोमीटर का रहेगा और इस के साथ मैंने अभी तक सात बार क़ुरान पाक लिख चुका हूं और 41 बार क़ुरान पाक लिखने की तमन्ना है. इस बार भी मैंने अपने हाथों से लिखी क़ुराने पाक अपने साथ ले कर जा रहा हूं जो वहां की पुस्तक संग्रह में रखी जाएगी.